SAD SHAYARI
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी जिंदगी,सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ,
और मिला कुछ भी नहीं
ajeeb trha se gujar gayi meri jindagi
socha kuchh kiya kuchh ,huya kuchh
or mila khuchh bhi nahi
वो जिसे समझते थे ज़िन्दगी,
मेरी धड़कनों का फरेब था;
मुझे मुस्कुराना सिखा के,
वो मेरी रूह तक रुला गए।
wo jise samjhte the jindagi
meri dhadkano ka fareb tha
mujhe muskurana sikha ke
wo meri ruh tk rula gya
चाहा बहुत उसको जिसे हम पा न सके,
किसी और को ख्यालों में ला न सके,
उसको देख के आँसू तो पोंछ लिए,
रंज किसी और को देख के मुस्कुरा न सके।
लगता है भूल चूका हूँ, मुस्कुराने का हुनर !
कोशिश जब भी करता हूँ, आंसू निकल ही आते है
चाहा बहुत उसको जिसे हम पा न सके,
किसी और को ख्यालों में ला न सके,
उसको देख के आँसू तो पोंछ लिए,
रंज किसी और को देख के मुस्कुरा न सके।
लगता है भूल चूका हूँ, मुस्कुराने का हुनर !
कोशिश जब भी करता हूँ, आंसू निकल ही आते है
चाह थी हर खुशी नसीब हो;
हर मंज़िल दिल के करीब हो;
बहां ख़ुदा भी क्या करे;
जहाँ तक़दीर ही बदनसीब हो।
CHAH THI HAR KHUSHI NASEEB HO
HAR MANJIL DIL KE KAREEB HO
WAHA KHUDA BHI KYA KARE
JAHA TAQDEER BADNASIB HO
उनकी मोहब्बत के अभी निशाँ बाकि है ,नाम लब पर है और जान बाकि है .क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते है ,तसल्ली है की चेहरे की पहचान बाकि है …
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