30+ भगत सिंह के सुविचार अनमोल वचन इमेजेज bhagat singh quotes hindi

bhagat singh krantikari suvichar wallpaper hindi  , Bhagat Singh Quotes भगत सिंह जी के जोशीले अनमोल सुविचार इमेजेज जो हर नौजवान  रग रग में देश भगति  का संचार करते हैं. भगत सिंह का जीवन काल सिर्फ 23  वर्ष का था 1907  में उनका जनम हुआ और 1931  को उन्होंने देश की आज़ादी के लिए  शहीद हो गए .इस छोटे से जीवन काल में उन्होंने ऐसा काम किया ऐसा नाम किया जो सदिओं तक इतिहास के सुनहरी पन्नो पर अंकित हो गया .

भगत सिंह के दिल में जो अपनी मातृभूमि के लिए जज्बा था मर मिटने का .उनके खून में जो क्रन्तिकारी विचार थे ,उनकी बहादुरी और शौर्य का मुकावला आज का कोई भी नौजवान नहीं कर सकता .मात्र 20 - 22 साल की उम्र में उन्होंने 200  साल पुरानी विदेशी   सत्ता की नीव हिला दे थी .

अगर आप उनके अनमोल सुविचारों को एक बार पढ लेते हैं तो आपके खून में एक तरह की बिजली सी दौड़ जाएगी और आपका दिल भी देश के लिए कुछ कारण गुजरने को मजबूर हो जायेगा .

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भगत सिंह के सुविचार फोटो सहित 


 ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जीनी चाहिए 

दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ☝

 जनाजे उठाये जाते हैं🌷

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मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा में खुद को कुरबान करना है


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मैं आपको बताना चाहता हूं कि विपरीत परस्थितियां

 मनुष्य को महान बनाने के उदेश्य से आती है 



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हमारा लक्ष्य शासन शक्ति को उन हाथों में 

 सौंपना  है, जिनका लक्ष्य देश सेवा  हो.


कड़ी  आलोचना और स्वतंत्र विचार 

ये क्रांतिकारी सोच के दो मुख्य  लक्षण हैं 


वे व्यक्तिओं को तो कुचल सकते हैं 

लेकिन उनके विचारों को नहीं 

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सरफरोशी की तम्मना 

अब हमारे दिल में है 

देखना है जोर कितना 

वाजू ऐ कातिल में है   


भगत सिंह के सुविचार 


मैं एक मानव हूँ

और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है 

उससे मुझे मतलब है .


यदि बहरों  को सुनाना    है

 तो धमाका  बहुत जोर से होना  चाहिए 


भगत सिंह के क्रन्तिकारी  सुविचार  


आत्मा बल को शरीरिक बल के साथ जोड़ना  चाहिए

ताकि अत्याचारी दुश्मन की दया के पात्र न बन जाएँ  


हमें यह स्पष्ट करना होगा कि क्रांति का मतलब

 केवल उथल-पुथल या एक हिंसक संघर्ष नहीं है


भगत सिंह के क्रन्तिकारी  सुविचार 


 जब हमने बम गिराया, तो हमारा

 किसी को मारने का हमारा इरादा नहीं था


मैं ज़रूरत के समय सभी को त्याग सकता हूं, 

और यही असली बलिदान है। 


मेरे दिल से  मरकर भी न निकलेगी  वतन की उल्फत, 

मेरी राख  से भी खूशबू-ए-वतन आएगी


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मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा में खुद को कुरबान करना है  

राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है,

 मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आजाद है


दूनिया में सबसे बड़ा पाप गरीब होना है? 

गरीबी एक अभिशाप है यह एक सजा है.


जब आप कोई काम करने निकले तो 

आपको खुद पर पूरा विश्वास होना चाहिए की मैं ये काम कर सकता हूँ ,

जैसे की हमें  असेम्बली में बम फेकने पर था  



क्रांति  में बम और पिस्तौल का 

प्रयोग  किया जाए ये जरुरी भी नहीं है  


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मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे;

मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला 


लिख रहा   हूँ मैं इतिहास  जो आज़ादी की शुरुआत होगी  

अब ज्यादा देर तक न गुलामी की काली रात होगी .


क्रान्ति की तलवार विचारों के धार को बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है, 

तभी क्रांति आती है इसमें पिस्तौल और बम की कोई भूमिका नहीं है .


मेरा पूरा जीवन  सिर्फ एक  लक्ष्य के प्रति समर्पित है – देश की आज़ादी। 

दुनिया की अन्य कोई वस्तु मुझे लुभा नहीं सकती 


भगत सिंह के अनमोल वचन 


क्रांति कभी भी अपनेआप नही आती बल्कि अनुकूल  वातावरण, 

सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में ही क्रांति लाई जा सकती है 


जैसे पुराना कपड़ा उतारकर नया बदला जाता है, 

वैसे ही मृत्यु है । मैं उससे डरूंगा नहीं, भागूंगा नहीं .


एक न एक दिन तो मौत आएगी ही आएगी 

पर मैं अपनी मौत को इतना महान  और भारी बना दूंगा कि

 ब्रिटिश सरकार रेत के ढेर की तरह उसमे दफ़न हो जाएगी  


हमें धैर्यपूर्वक फांसी की प्रतीक्षा करनी चाहिए । यह मृत्यु सुंदर होगी .

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मैं आपको बताना चाहता हूं कि विपरीत परस्थितियां

 मनुष्य को महान बनाने के उदेश्य से आती है .


भगत सिंह का सुविचार प्रेरक विचार 


आज मेरी कमजोरियां लोगों के सामने नहीं हैं । 

अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी 

और इंकलाब की ज्वाला मध्यम  पड़ जाएगा.


मुझे दंड सुना दिया गया है और फांसी का आदेश हुआ है । 

इन कोठरियों में मेरे अतिरिक्त फांसी की प्रतीक्षा करने वाले बहुत -से देश भगत  हैं .


मैं खुशी के साथ फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा 

कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से 


खुद को देश के लिए कुर्बान कर सकते हैं .


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हमारा लक्ष्य शासन शक्ति को उन हाथों में 

सौंपना  है, जिनका लक्ष्य देश सेवा  हो.


मैं बंदूकें बो रहा हूं 


क्रांति  बूढ़े आदमी नहीं ला  सकते । ये  तो बहुत ही बुद्धिमान और समझदार होते हैं ।क्रांति  तो  युवकों के परिश्रम, साहस, बलिदान और निष्ठा से लाई जाती है .इनको  भयभीत होना आता ही नहीं और ये  विचार कम और अनुभव अधिक करते हैं. 


मैं ये मानता  हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा , आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है.

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