लिख दूँ तो लफज हो तुम
सोच लूँ तो ख्याल हो तुम
मांग लूँ तो मानत हो तुम
और छह लूँ तो मुहबत हो तुम
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तुम्हारी यादों से यु नाता नहीं था
पर तुम्हे भूल जाना हमें अत नहीं था
यूँ तो उमर गुजरी है तुमसे पहले भी
तनहा मेरी
मगर पहले अकेलापन हमें यु सताता नहीं था
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कुछ हंस कर बोल दो
कुछ हंस कर ताल
परेशानिया तो बहुत है
कुछ बक्त पर दाल दो
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बुराई वही करते है
जो बराबरी
नहीं कर सकते
नज़र कुछ नहीं बस
आपका दीदार मांगती है
जिंदगी अपने लिए कुछ नहीं बस
आपके लिए दुआ हजार मांगती है
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मैं जिंदगी गिरवी रख दूंगा
तू बस कीमत बता मुस्कुराने की
काश ये मुहबत भी तलाक की तरह होती
तुम मेरी हो तुम मेरी हो तुम मेरी हो
कह के तुम मेरी हो जाती
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बस एक बात सीखी है जिंदगी में
अपनों के करीब रहना है तो में रहो
अपनों को करीब रखना है तो
बात दिल पर मत लो
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इक तूने ही मुझे अपना न समझा
जमाना आज भी मुझे
तेरा दीवाना कहता है
तेरी मुहबत पे मेरा हक़ तो नहीं लेकिन
जी करता है उमर भर तेरा इन्तजार करू
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कितनी आसानी से कह दिया तूने
जा अब मुझे भूल जा
साफ़ साफ़ कह देते
बहुत जी लिए जाओ अब मर जाओ
प्यार तो सिर्फ प्यार है
क्या पूरा क्या आधा
दोनों की चाहत बेमिसाल है
क्या मीरा क्या राधा
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बहुत दूर है मेरे शहर से तेरा शहर
फिर हवा के हर झोंके से तेरा हाल पूछते है
यादें बनकर जो रहते हो साथ मेरे
तेरे इस अहसान का सो बार शुक्रिया
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बस यही दो मसले जिंदगी भर न हल हुए
न नींद पूरी हुयी न ख्वाब मुकल हुए
बक्त ने कहा काश थोड़ा और सब्र होता
सब्र ने कहा काश थोड़ा और बक्त होता
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तेरे बिना जीना मुश्किल है
ये तुझे बताना और भी मुश्किल है
मेरी मुहबत की न सही
मेरे सलीके की दाद दे
तेरा जीकर रोज करते है
तेरा नाम लिए बगैर
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जिस दिन पहचान जाओगे तुम
मेरी मुहबत को
रोओगे बहुत
अपनी बेरुखी याद कर के
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हम से कोई गिला हो जाये तो सॉरी
आप को याद न कर पाए तो सॉरी
वैसे दिल से आप को भूलेंगे नहीं
पर हमारी धड़कन ही रुक जाये तो सॉरी
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हम से कोई गिला हो जाये तो सॉरी
आप को याद न कर पाए तो सॉरी
वैसे दिल से आप को भूलेंगे नहीं
पर हमारी धड़कन ही रुक जाये तो सॉरी
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मरने वाले तो एक दिन मरते हैं
रो वो मरते है जो किसी से
बेपनाह मुहब्त करते है
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आज बहुत दिनों बाद देखा उसे
दिल तो नहीं भरा
पर आंखे भर आयी
कमाल का ताना दिया आज
मंदिर में भगवन ने
रोज मांगने ही एते हो कभी मिलने भी आया करो
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दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं
की सब से लड़ा जाये
आप थोड़े कामयाब हो जाओ
वो आपको खिजरत में मिल जाएँगे
नींद ए या न आये
चिराग बुझा दिया करो
यु रात भर किसी का जलना
हमसे देखा नहीं जाता
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जिसका नाम है मुहबत
वो तो कैद है यारो
उम्र गुजर जाती है
सजा पूरी नहीं होती
जिसके सपनो में मैं रोज आया करता था
आज वो मेरे लिए एक सपना बनकर रह गयी
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फुर्सत मिले तो आना
कभी दिल की गलिओं तक
हम ढकने में अपनी
तुम्हारा नाम सुनाएंगे
इन्तजार तो प्यार में वही कर सकता है
जिसने प्यार दिल से किया हो
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किन लफ्जो में लिखूं
मैं अपने इंतज़ार को
बेजुबान सा इश्क
ख़ामोशी से तुम्हे ढूढ़ता है
तोडना था तो सांसे तोड़ जाते
सिर्फ दिल तोड़ कर क्या मिला
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तुझको खबर नहीं
पर एक बात सुन ले
बर्बाद कर दिया तेरे
कुछ दिनों के प्यार ने
कुछ इस तरह बस गए हो राग राग में
खुद से पहले अहसास तुम्हारा होता है
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मुहबत साथ हो ये जरुरी नहीं
मुहबत जिंदगी भर हो ये जरुरी है
एक बात पूछीं क्यों चले जाते हैं
कुछ लोग दिल तोड़ कर
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मुझे इशक तेरी हर बात से है
जैसे सूरज को सुबह से
और चाँद को इश्क रात से है
जब लोग आपसे मुकावला नहीं कर सकते
तो वो आपसे नफरत करने लग जाते है
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सबका दिल रखने में
अक्सर अपना दिल टूट जाता है
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"ख़ुशी मिली है न सके , ग़म मिला रो न सके ,
ज़िन्दगी का एहि दस्तूर है ,
जिसे चाहा उसे प् न सके ,
और जिसे पाया उसे छह न सके