Short Shayari in Hindi शार्ट शायरी हिंदी


Short Shayari in Hindi

नज़र, नमाज़, नज़रिया सब कुछ बदल गया

इक रोज़ मुझे इश्क़ हुआ और मेरा खुदा बदल गया

short shayari


वो इस अंदाज़ में मुझसे मोहब्बत चाहती है,

मेरे ख्वाब में भी अपनी हुकूमत चाहती है.!!


मुद्दतों बैठे रहे हम तेरे एहसास के साथ

दूर के दूर रहे और पास के पास…


सुलगते लम्स की खुशबू हवा में छोड़ गया,

वो जो हमसफर था, सफर में छोड़ गया…


राह तकते जब थक गई आंखे

फिर तुझे ढूंढने मेरी आंख के आसूं निकले..


वक्त भी…कैसी पहेली दे गया…

उलझने सौ… जां अकेली दे गया…


इक शख़्स.. कुछ लम्हे.. कई यादें बतौर इनाम मिले

इक सफर पर निकले और तजुर्बे तमाम मिले


छूटे हुए हाथों का छूटना अब और नही अखरता

पड़ चुका है अब फ़र्क इतना कि अब फ़र्क नही पड़ता !!


दिल की तकलीफ़ कम नही करते,

अब कोई शिकवा हम नही करते…


ज़मीन पर मेरा नाम वो लिखते और मिटाते हैं,

वक्त उनका तो गुज़र जाता है, मिट्टी में हम मिल जाते हैं…


दिल ना उम्मीद तो नही….नाकाम ही तो है,

लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है…


अगर, मगर, और काश में हूं…

फिलहाल मैं अपनी ही तलाश में हूं…


राहें खुश्क हों कितनीं, क़दम मेरा हर चुस्त हो मौला

नज़र कमज़ोर बेशक हो नज़रिया दुरुस्त हो मौला


वो अदा करे तो शुक्र उसका, न दे तो मलाल नही

मेरे रब के फैसले कमाल के हैं, उन फैसलों पर सवाल नही


प्यार, एहसास, हँसी और शरारत बनाए रखना

खुद में जरा सा बच्चा हर हाल में बचाए रखना।


रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिए…

नफ़रत भी कीजिए ज़रा मुहब्बत से कीजिए..!!


लफ्जों में क्या लिखूं उस रब की तारीफ में,

जो मांगू तो नवाज़ देता है, न मांगे तो बेहिसाब देता है।


आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है

भूल जाता है जमीं से ही नज़र आता है।


हवा से कह दो कि “खुद को आजमा के दिखाये,

बहुत चिराग़ बुझाती है, “एक जला के दिखाए.


तू मेरे साथ होगा तो क्या कहेगा जमाना,

मेरी यही एक तमन्ना और तेरा यही एक बहाना !


कोशिश बहुत की के राज-ए-मोहब्बत बयां न हो,

पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुंआ न हो..!!


भूल जाऊं मैं तुम्हे, लोग मुझसे ये आसानी से कह देते हैं,

शायद खेल समझते हैं इश्क़ को वो, इसलिए इसे मुंह ज़ुबानी कह देते हैं।


तुम्हे पाकर भी खुश न था, तुम्हे खोने का भी गम है

तेरे जाने के बाद भी, ‘तेरा’ होने का गम है।


मै क्या बताऊं कैसी परेशानियों में हूं,

काग़ज़ की एक नाव हूं और पानियों में हूं.!


सोचा नही था जिंदगी में ऐसे भी फसाने होंगे,

रोना भी जरूरी होगा और आसूं भी छुपाने होंगे।


कर के बेचैन मुझे फिर मेरा हाल ना पूछा,

उसने नजरें फेर ली मैने भी सवाल ना पूछा !!


बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यों नही जाता,

जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता।


बंदगी की और मोहब्बत को खुदा लिखा,

बस यही वजह थी कि वो शख्स मुझसे जुदा मिला।।


हजारों ख्वाहिश ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,

बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।


गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले।।


धीरे धीरे ढलते सूरज का सफ़र मेरा भी है

शाम बतलाती है मुझ को एक घर मेरा भी है।।


बीच राह में कुछ इस अंदाज़ से छोड़ा उसने हाथ मेरा,

कोई अब सहारा भी दे तो घबरा जाता हूं मैं!


रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूं नही

मुझ को तन्हा देखकर उसने पुकारा क्यों नही


अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं


दुआ करो की मै उसके लिए दुआ हो जाऊं,

वो एक शख्स जो दिल को दुआ सा लगता है।।


जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नही होगा

समझौता कोई ख़्वाब के बदले नही होगा।।


जिस्म खुश, रूह उदास लिए फिरते हो

ये किस किस्म की मोहब्बत किए फिरते हो।


मुझे फुर्सत कहां, कि मैं मौसम सुहाना देखूं…

तेरी यादों से निकलूं, तब तो जमाना देखूं..!


चेहरे पर खुशी छा जाती है आंखों में सुरूर आ जाता है

जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे गुरुर आ जाता है


चुपके चुपके रात दिन आसूं बहाना याद है

हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है।।


मुस्कुराहट की बनावट में छुपाए हमने गम,

दिखावट की हंसी से दुनिया के सामने खड़े हैं हम


ये दिल डूबेगा समंदर में किसी के,

हम भी तो लिखे होंगे मुकद्दर में किसी के


मै तो आबाद ही होता हूं उजड़ने के लिए,

देखें इस बार कौन मिले बिछड़ने के लिए,,


हर तमन्ना जब दिल से रुखसत हो गई,

यकीन मानिए फुरसत ही फुरसत हो गई..!


अब नही होती किसी से भी परेशानी मुझे

कितनी मुश्किल से हुई हासिल ये आसानी मुझे।।


जहर दिल में है जुबां गुड की डली है यारों

ये जो दुनिया है बस ऊपर से भली है यारों


खामोशियां भी देखी हैं हमने और गहरी उदासियां भी

इन शामों के मुकद्दर में आजकल तन्हाईयां बहुत हैं।।


तड़प कर गुज़र जाती है हर रात आखिर

कोई याद ना करे तो क्या सुबह नही होती


बेशुमार जख्मों की मिसाल हूं मैं,

फिर भी हंस लेता हूं कमाल हूं मैं!!


साथ मेरे बैठा था पर किसी और के करीब था,

वो अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था.!


ख्वाब बोए थे और अकेलापन काटा है,

इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है।


एक शख्स की खातिर हंसना छोड़ देते हैं…

इश्क़ में ठुकराए हुए.. अक्सर जीना छोड़ देते हैं..!


के देख के मेरी हालत को जब वो मुस्कुराने लगे,

खूब रोए थे हम जब वो बिछड़ के ऐसे जाने लगे।


ऐसा नहीं कि दिल में तेरी तस्वीर नही थी..

बस हाथों में तेरे नाम की लकीर नही थी।


कितनी मोहब्बत है तुमसे, कोई सफाई नही देंगे,

साए की तरह रहेंगे तेरे साथ, पर दिखाई नही देंगे..!!


जरूरी नही की तुम भी चाहो मुझे,

मेरा इश्क है, एक तरफा भी हो सकता है!


मैंने कब कहा तुम मिल जाओ मुझे,

गैर ना हो जाना बस इतनी सी हसरत है…


मोहब्बत सरेआम नही बस एहसास होना चाहिए,

हम उन्हे चाहते हैं ये पता सिर्फ उन्हें होना चाहिए।


तब से मोहब्बत हो गई है खुद से

जब से उसने कहा अच्छे लगते हो।


जरा जरा सी बात पर तकरार करने लगे हो,

लगता है तुम मुझे बे-इंतिहा प्यार करने लगे हो..


तुम फरमाइश तो करो हम सुनेंगे जरूर,

भले पूरा न कर सके लेकिन कोशिश करेंगे जरूर।


बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी

फिर भी बेइंतहा चाहने की बेबसी मेरी।


हम लड़-झगड़कर एक दूसरे से, खुद से नाराज़ रहते हैं

उसको कह दिया मैसेज मत करना कभी, और हम इंतज़ार में रहते हैं।


कुछ तो बात है जो मुझे खोने से डरते हो,

मेरे ना होकर भी मेरे होने के लिए मरते हो..


मै ना नज़र आऊं और बेचैन हो जाओ तुम

इश्क में ऐसा मुकाम चाहिए मुझे।


वो चंद लम्हे जो गुजरे तेरे साथ,

न जाने कितने बरस मेरे काम आयेंगे..


बदले बदले से रहते हैं वो इन दिनों,

वो बात तो करते हैं पर बातें नही करते।


ना जख्म भरे, ना शराब सहारा हुई

ना तुम लौटे, ना मोहब्बत दोबारा हुई !


दूरियां जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गईं,

फिर उसने वो भी सुना जो मैने कहा ही नहीं।


कल तक था जो प्यार वो आज अनजान बन गया

मोहब्बत का वो इक किस्सा, जो आज सूली चढ़ गया।।


खबर नही लगी ऐसा साथ छोड़ा है उसने,

बड़ी नज़ाकत के साथ ये दिल तोड़ा है उसने।


कभी उसे पढ़ा तो कभी उसे याद किया

ये जिंदगी तू देख कैसे इक प्यार की खातिर खुद को बर्बाद किया..


रंग देखने को तब मिलते हैं बड़े नसीब से,

जब गुजरना पड़ता है किसी के बेहद करीब से।।


यहां सब खामोश हैं कोई आवाज नहीं करता,

सच बोलकर कोई, किसी को नाराज नहीं करता


कभी देर रात बात करते करते अचानक सो जाते थे

आज उन्ही बातों को याद करते रात को जागा करते हैं।


लग गया हूं ख़ुद को ख़ुद से मिलाने में,

गुम हो गया था मैं मोहब्बत के किसी फसाने में


जो लोग दूर जाने के बाद भी सता रहे हैं,

प्यार क्या होता है, असल में ये हमे बता रहे हैं


इस उदास चेहरे को छुपाने की कोशिश करता रहता हूं,

प्यार तुमसे अब भी है ये बताने की कोशिश करता रहता हूं..


शिकायतें बहुत हैं तुमसे पर अब वो बात नही,

मिलना चाहता हूं तुमसे पर अब वो जज़्बात नही।।


ये जो सच्चाई है हम खुद को संभाल लेते हैं,

दर्द आते हैं, हम तक हम हस के टाल देते हैं !!


किस्मत के तराज़ू में तौलो तो फ़कीर हैं हम,

दर्द ए दिल में हम से नवाब नही कोई


आंख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा

वक्त का क्या है गुज़ारता है गुज़र जायेगा..


तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में

हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं


होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है

रंज कम सहता है एलान बहुत करता है।


सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हैं हम,

पर मां जैसा चाहने वाला जमाने भर में ना है।


इक आदत सी पड़ी है सब ठीक है कहने की,

इक आदत सी पड़ी है सब कुछ ही सहने की।


खाली पन्नो की तरह दिन पलटते जा रहे हैं,

खबर नही की ये “आ रहे हैं” या “जा रहे हैं”..!


मानता ही नहीं ये दिल तुम्हे भूलने को

मै हाथ जोड़ता हूं तो पांव पकड़ लेता है।।


इस छोटे से दिल में किस किस को जगह दूं मैं,

गम रहे दम रहे फरियाद रहे या तेरी याद।


तेरी बातें ही सुनाने आए

दोस्त भी दिल ही दुखाने आए।


बिछड़ कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था

ख्वाब ही था मगर हसीन कितना था।।


फिर बारिश हो रही है, शायद बादल रोया है,

लगता है जैसे उसने भी मेरी तरह कोई अपना खोया है.!


कुछ इस तरह से हमारी बातें कम हो गई

कैसे हो से शुरू और ठीक हूं पर खत्म हो गई।


माना की मरने वालों को भुला देते हैं सभी..!

मुझे जिंदा भूलकर तुमने तो कहावत ही बदल दी.!!


बेर-सबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है

हम खफा कब थे मनाने की जरूरत क्या है।


तेरी याद आती है तो दिन में कई बार रो लेते हैं हम,

तेरी तस्वीर को देख कर हर बार तुझे खो लेते हैं हम।


जिंदगी होगी तो कल फिर फिकर होगी तेरी,

अगर इसी रात हम चल बसे तो ख्याल रखना अपना..!


कुछ टूटे हैं ख़्वाब मेरे कुछ को अब भी बुन रहा,

जो उठ रहीं आवाजें मुझ पर उनको भी सुन रहा..!


दरख़्त ऐ नीम हूं मेरे नाम से घबराहट तो होगी,

छांव ठंडी ही दूंगा बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी.


हद से बढ जाए ताल्लुक तो गम मिलते हैं,

हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं..


न जाने कौन सी शिकायतों का हम शिकार हो गए,

जितना दिल साफ रखा उतना गुनहगार हो गए।


जो गैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए

कि हम से दोस्त बहुत से बे-खबर हमारे हुए।


जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया

जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया।


माहौल गरम हो या हो बातों में चिंगारी

मै मसरूफ हूं अपने काम में, मुझे भाती नही ये दुनियादारी।


क्या ही फर्क पड़ा है किसी को तुम्हारे नाराज़ होने से,

वक्त के साथ बदल जाओ, इतना बर्बाद होने से।


जिंदगी संवारने को तो सारी जिंदगी पड़ी है,

अभी बस वो लम्हा संभाल लो.. जहां जिंदगी खड़ी है।


कभी लौट आएं तो पूछना नही देखना उन्हे गौर से

जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है।


यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुजर जाती है,

आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया।।


कुछ भी बचा ना कहने को हर बात हो गई

आओ कहीं शराब पिए रात हो गई।


आजकल की मोहब्बत के कुछ यूं फसाने हैं,

जो जितना झूठा उसके उतने दीवाने हैं..!!


उन्हें कल हैरानी हुई हमे इस हाल में देख कर,

के भला टूट कर भी कोई इतना मुस्कुराता है क्या।


बात रोने की लगे और हंसा जाता है

यूं भी हालात से समझौता किया जाता है।


मेरी उदासियां तुम्हे कैसे नजर आएंगी

तुम्हे देखकर तो हम मुस्कुराने लगते हैं।


ऐसी गज़ब की ख़ामोशी देखी नही कहीं

दोनो यहीं पर हैं, मगर कोन गया पता नही।


वो भी जिंदा हुआ, मै भी जिंदा हूं,

कत्ल सिर्फ़ इश्क़ का हुआ है..!!


काट कर गैरों की टांगे, खुद लगा लेते हैं लोग,

इस शहर में इस तरह भी कद बढ़ा लेते हैं लोग…


कुछ टूटे हैं ख़्वाब मेरे कुछ को अब भी बुन रहा

जो उठ रही आवाज़ें मुझ पर उनको भी सुन रहा।


गहराई जख्म की किसी को दिखाता नही हूं,

माफ़ तो कर देता हूं मगर मैं भुलाता नही हूं..


तुम से बिछड़ के कुछ यूँ वक्त गुजारा,

कभी जिंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा।।


शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं,

इतने समझौतों पर जीते हैं कि मर जाते हैं..


ज़िंदगी थोड़ी बेहतर होती अगर तुम ज़िंदगी से जाते ही नहीं,

थोड़ी ज़्यादा बेहतर होती अगर तुम ज़िंदगी में आते ही नहीं।


कुछ शिकायतें बनी रहें तो बेहतर हैं

चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते।


ज़िंदगी रोज़ कोई ताज़ा सफ़र मांगती है

और थकान शाम को अपना घर मांगती है।


हर कदम साथ चलने वाले हम कहीं खो गए

इतने करीब थे हम और अब अजनबी हो गए


मै लोगों से मुलाकातों के लम्हें याद रखता हूं

बातें भूल भी जाऊं पर लहजे याद रखता हूं।


वो एक बात जिसे बोलने को मरते थे

वो एक बात हमें बोलनी नही आई।


सब कर लेना लम्हें ज़ाया मत करना

गलत जगह पर जज़्बे ज़ाया मत करना।


कैसा अज़ीब रिवाज़ दुनिया का हो चला

खुश दिखना खुश होने से ज़रूरी हो गया।


तितली से दोस्ती न गुलाबों का शौक है

मेरी तरह उसे भी किताबों का शौक है।


गमों की मुझ पर कुछ ऐसी नजर हो गई,

जब भी हम हंसे ये आँखें नम हो गई !!


सारी दुनिया से मुलाकातें एक तरफ

तेरे साथ बैठना तुझे देखना एक तरफ़।


हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफ़िर हो,

जरा ठहर जाओ बस फिर चले जाना।



मेरी तन्हाई देखेंगे तो हैरत ही करेंगे लोग

मोहब्बत छोड़ देंगे या मोहब्बत ही करेंगे लोग।


औरों का बताया हुआ रस्ता नही चुनते

जो इश्क़ चुना करते हैं, दुनिया नही चुनते।


न रूठने का डर न मनाने की कोशिश

दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायतें कैसी।


किसी एक की चाहत बनो हर किसी की तमन्ना नही,

जो मजा उस एक के इश्क में है वो नशा किसी और में नही..


तेरी एक झलक के लिए तरस जाता हूं,

खुश किस्मत हैं वो लोग जो तुझे रोज देखते हैं!


तू खास है मेरे लिए, आम नही

गहराई बहुत है रिश्ते में, बस कोई नाम नहीं।


मेरा सबसे प्यारा एहसास हो तुम,

दूर हो लेकिन मेरे दिल के पास हो तुम।


जब हम नज़र ना आएं तो मत घबराना तुम,

कुछ दिन आसूं बहाकर किसी और के हो जाना तुम।


कैसे करूं मैं साबित तुम याद बहुत आते हो,

एहसास तुम समझते नही और अदाएं हमें आती नहीं।


एक तरसी हुई निगाहें इशारे में कह गई..!

दिल ले गए हो तुम बस जान रह गई..!


मुझको पढ़ना हो तो, मेरी शायरी पढ़ लेना,

बेशक लफ्ज़ बेमिसाल ना सही, पर जज़्बात लाजवाब होंगे !!


क्या फ़र्क पड़ता है असल में हम कैसे हैं,

जिसने जैसी सोच बना ली उसके लिए हम वैसे हैं।


कौन है जिसमे कमी नहीं होती,

आसमान के पास भी तो जमीं नही होती..


भर जायेंगे जख्म मेरे भी तुम जमाने से जिक्र मत करना,

मै ठीक हूं तुम दुबारा कभी मेरी फिक्र मत करना।


समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नही

जो हम से मिल के बिछड़ जाए वो हमारा नही


मै तो चाहता हूं हमेशा मासूम बने रहना,

ये जो दुनिया है समझदार किए जाती है।


हवा चुरा ले गई मेरी शायरी की किताब,

देखो आसमां पढ़ के रो रहा है बेहिसाब आज।


कोई कहता है मूरत में, कोई कहता है आसमान में रहता है,

और मुझ जाहिल को लगता था, खुदा हर इंसान में रहता है।


ज़रूरी तो नहीं कि शायरी सिर्फ़ आशिक़ ही करें,

ज़िंदगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दे जाती है।



Saree duniya se mulakaaten ek taraf

Tere sath baithana tujhe dekhana ek taraf.





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