Alone Shayari in Hindi
कितनी अजीब है 😔
इस शहर की👉 तन्हाई
हजारों लोग हैं यहाँ पर
💔अपना कोई नहीं
अपनी तन्हाई 👉 में तन्हा ही अच्छे 😔 है हम
हमें 💔 ज़रुरत नहीं दो पल ✋ के सहारों की
मेरी तनहा ज़िंदगी 👉 की
अजीब दास्ताँ 😔 है दोस्तों
किसी को कोई मिल 💔 गया
और कोई अकेला ✋ हो गया
मेरा और 👉 उस चाँद का
मुक़द्दर एक जैसा 😔 है
वो तारों 💔 में तन्हा है
और मैं हजारों ✋ में अकेला
यूँ तो हर रंग 👉 का मौसम
मुझसे वाकिफ 😔 है मगर
रात की तन्हाई 💔 मुझे
कुछ अलग ✋ ही जानती है
कभी सोचा न था 💔
तन्हाईओं का दर्द कुछ यूँ होगा
😔अब तो मेरे दुश्मन ही
मुझसे मेरा हाल पूछते हैं✋
💔तुझसे दूर जाने के बाद
तनहा तो हूँ लेकिन तेरी यादें 🚶
मुझे अकेला नहीं छोड़ती
तन्हाईओं 👉 के आलम की
बात 😔न करो वरना 💔
बन जायेगा एक और जाम
और बदनाम शराब ✋ होगी
अकेले रोना 👉 भी
क्या खूब कारीगरी 😔 है
सवाल 💔 भी खुद के होते है
और जवाब भी ✋ खुद के
मेरी तन्हाई 👉 को
मेरा शौक 😔 न समझना
बहुत प्यार से दिया 💔 है
ये तोहफा किसी ✋ ने
सिसकती 👉 रही मेरी रात
अकेली तन्हाईओं के आगोश 😔 में
और वो सुबह से 💔मोहब्बत
कर ✋ के उसका हो गया
उसके दिल 👉 में थोड़ी सी
जगह माँगी थी मुसाफिरों 😔 की तरह
उसने तन्हाईयों 💔 का
एक शहर ✋ मेरे नाम कर दिया
हम तन्हाई 👉 से बचने 😔 के लिए
खुद 💔 को तबाह ✋ कर रहे है
तन्हाई शायरी
कैसे गुज़रती है 👉 मेरी
हर 😔 एक शाम तुम्हारे बगैर
अगर तुम देख लेते 💔 तो
कभी तन्हा ✋ न छोड़ते मुझे
यूँ भी 👉 हुआ रात को
जब सब सो 😔 गए
मैं और मेरी तन्हाई 💔
तेरी बातों ✋ में खो गए
तन्हाई से 👉 इस क़दर
मोहब्बत हो गयी हमें 😔 की
अपना साया 💔 भी
साथ हो तो भीड़ ✋ लगता है
राह देखा 👉 करोगे सदियों 😔 तक
छोड़ 💔 जाएंगे ✋ ये जहाँ तन्हा 🚶
तन्हाईयाँ 👉 कुछ इस तरह से
डसने 😔 लगी हमें
हम आज अपने पैरों 💔 की
आहट ✋ से डर गए
तुमसे 👉 मिले 😔 तो खुद 💔 से ज़्यादा
तुमको ✋ तन्हा पाया
मेरी 👉 तन्हाई मार डालेगी
दे-दे 😔 कर ताने मुझको
एक बार 💔 आ जाओ
इसे तुम खामोश कर ✋ दो
मेरी 👉 मिसाल न पूछो
मैं उस😔 दरख़्त जैसा हूँ
जो चुप-चाप आँधियों में 💔 भी
तन्हा खड़ा ✋ रहे
मेरी तन्हाईयाँ करती 👉 है
जिन्हें 😔 याद अक्सर
उनको भी 💔 मेरी याद आए
ये ज़रूरी ✋ तो नहीं
तेरा पहलू 👉 तेरे
दिल की 😔 तरह आबाद रहे
तुझपे गुज़रे 💔 न
क़यामत शब-ए-तन्हाई ✋ की
कहने लगी 👉 है अब तो
मेरी तन्हाई 😔 भी मुझसे
कर लो 💔 मुझसे मोहब्बत
मैं ✋ तो बेवफा भी नहीं
मुझको 👉 मेरी तन्हाई से
अब शिकायत नहीं 😔 है
मैं पत्थर 💔 हूँ मुझे खुद से
✋ भी मोहब्बत नहीं है
कभी घबरा 👉 गया होगा
दिल तन्हाई 😔 में उनका
मेरी तस्वीर 💔 को
सीने से लगा ✋ कर सो गए होंगे
क्या 👉 हुआ अगर तन्हाई से
दोस्ती करली 😔 मैंने
बेशक 💔 वो मुझसे
बेवफाई तो नहीं ✋ करेगी
कितने तोहफे देती 👉 है
ये मोहब्बत 😔 भी
कभी रुस्वाई 💔 कभी जुदाई
और कभी तन्हाई ✋
अब 👉 तो उनकी याद 😔 भी आती नहीं
कितनी तनहा 💔 हो ✋ गयी तन्हाईयाँ
काश 👉 तू समझ सकती
मोहब्बत के उसूलों 😔 को
किसी 💔 को साँसों में समाकर
उसे तन्हा नहीं ✋ करते
कितनी फ़िक्र 👉 है तारों को
मेरी तन्हाई 😔 की
वो भी जागते रहते 💔 है
रात भर मेरे ✋ लिए
तन्हा ही गुज़र जाती 👉 है ज़िंदगी
लोग तसल्लियाँ 😔 तो देते 💔 है
साथ नहीं ✋ देते
तन्हाई 👉 की आग में कहीं
जल ही 😔 न जाऊँ
के अब 💔 तो कोई मेरे
आशियाने ✋ को बचाले
सहारा लेना 👉 ही पड़ा
मुझको भी दरिया 😔 का
मैं एक कतरा 💔 हूँ तन्हा तो
सागर में मिल ✋ नहीं सकता
आज 👉 इतना तन्हा महसूस 😔 किया खुद को
जैसे लोग दफना 💔 कर चले गए ✋ हो
यूँ तो हर एक महफ़िल 👉 में कई
महफ़िलें होती 😔 है यारो
पर जिसको भी पास 💔 से देखा
उसको तन्हा ✋ ही देखा
कर ली मैंने तन्हाई 👉 से दोस्ती
आज़मा 😔 के सारे अपने
भरोसा कर💔 के देखा
लेकिन कोई काम ✋ न आया
तन्हाई 👉 रही साथ ता-जिंदगी 😔 मेरे
शिकवा नहीं 💔 के कोई ✋ साथ न रहा
बहुत सोचा 👉 बहुत समझा
बहुत ही देर 😔 तक परखा
कि तन्हा हो 💔 के जी लेना
मोहब्बत से ✋ तो बेहतर है
तन्हाई सौ गुना बेहतर 👉 है
झूटे 😔 वादों 💔 और झूटे लोगों ✋ से
हर वक़्त 👉 का हँसना
तुझे बर्बाद न कर 😔 दे
तन्हाई के लम्हों 💔 में
कभी रो भी लिया ✋ कर
शहर 👉 की भीड़ में शामिल है
अकेला-पन 😔 भी
आज हर ज़हन 💔 है
तन्हाई ✋ का मारा
मेरी पलकों का 👉 अब नींद से
कोई ताल्लुक 😔 नही रहा
मेरा कौन है 💔 ये सोचने में
रात गुज़र ✋ जाती है
ख़्वाब 👉 की तरह
बिखर जाने को 😔 जी चाहता है
ऐसी तन्हाई 💔 कि
मर जाने ✋ को जी चाहता है
हम भी तन्हा 👉 है और
तुम 😔 भी तन्हा हो चलो तनहा
वक़्त 💔 कुछ साथ गुज़ारा ✋ जाए
ऐ मुसाफिर 👉 देखता चल तूं
अपने साए 😔 की तरफ
शायद इस तरह 💔 तुझे
तन्हाई का अहसास न ✋ हो
वो 👉 हर बार मुझे छोड़ के
चले जाते 😔 है तन्हा
मैं मज़बूत बहुत हूँ 💔 लेकिन
कोई पत्थर ✋ तो नहीं हूँ
रोते 👉 है अकेला देख कर
मुझको 😔 वो रास्ते
जिन पे 💔 तेरे बगैर
मैं गुज़रा ✋ कभी न था
जिन 👉 के पास होती है
उम्र भर 😔 की यादें
वो लोग तन्हाई में 💔 भी
तन्हा नहीं ✋ होते
उसे पाना 👉 उसे खोना
उसी के हिज्र 😔 में रोना
यही अगर इश्क 💔 है
तो हम तन्हा ही अच्छे ✋ है
न ढूंड 👉 मेरा किरदार
दुनिया 😔 की भीड़ में
वफादार 💔 तो हमेशा
तन्हा ✋ ही मिलते है
रात की तनहाईयों 👉 में
बेचैन 😔 है हम
महफ़िल जमी 💔 है फिर भी
अकेले है ✋ हम
एक रात 👉 क्या गुज़री तेरी तन्हाई 😔 में
गुज़र 💔 गयी हज़ारों बारिशें आँखों ✋ से
शहर 👉 की भीड़ में शामिल है
अकेला-पन 😔 भी
आज हर ज़हन 💔 है
तन्हाई ✋ का मारा
अपने साये 👉 से चौंक जाते 😔 है
उम्र गुज़री 💔 है ✋ इस क़दर तन्हा
तन्हाई 👉 से कुछ इस क़दर
दोस्ती हो गयी 😔 है
की अब महफ़िल 💔 से डर
लगने लगा ✋ है
मैं 👉 हूँ दिल है तन्हाई 😔 है
तुम भी 💔 जो होते तो ✋
अच्छा होता
ख़्वाब 👉 की तरह
बिखर जाने को 😔 जी चाहता है
तन्हाई 💔ऐसी है कि
मर जाने ✋ को जी चाहता है
तन्हाई 👉 से कुछ इस
क़दर दोस्ती हो गयी 😔 है
की अब महफ़िल 💔 से
डर लगने लगा ✋ है
वो 👉 हर बार मुझे छोड़ के
चले जाते 😔 है तन्हा
मैं मज़बूत बहुत हूँ 💔 लेकिन
कोई पत्थर ✋ तो नहीं हूँ 🚶
हर वक़्त 👉 का हँसना
तुझे बर्बाद न कर 😔 दे
तन्हाई के लम्हों 💔 में
कभी रो भी लिया ✋ कर
न ढूंड 👉 मेरा किरदार
दुनिया 😔 की भीड़ में
वफादार 💔 तो हमेशा
तन्हा ✋ ही मिलते है
रात की तनहाईयों 👉 में
बेचैन 😔 है हम
महफ़िल जमी 💔 है फिर भी
अकेले है ✋ हम
अपने साये 👉 से चौंक जाते 😔 है
उम्र गुज़री 💔 है ✋ इस क़दर तन्हा
एक रात 👉 क्या गुज़री
तेरी तन्हाई 😔 में
गुज़र 💔 गयी हज़ारों
बारिशें आँखों ✋ से 🚶
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