Maa Shayari In Hindi
माँ शायरी
हर रिश्ते में मिलावट देखी
कच्चे रंगो की सजावट देखी
माँ के चेहरे पर न थकावट देखी
न ममता में मिलावट देखी
जब-जब कागज पर
लिखा मैंने माँ का नाम
कलम अदब से बोल
उठी हो गये चारों धाम
रोटी वो आधी खाती है
बच्चे को पूरी देती है
मेरी हो या तुम्हारी दोस्तों
माँ सबकी माँ होती है
माँ की तरह हर कोई
मेरी गलती माफ नही करता
और आँसू तो सब देते हैं माँ
पर तेरी तरह कोई साफ नही करता
भले ही मोहब्बत का
जिक्र करता है ये सारा जमाना
पर प्यार की शुरुआत
आज भी माँ से ही होती है
उसका काला टीका किसी
सुदर्शन चक्र से कम नही
माँ एक उंगली काजल से
सारी बलाएं टाल देती है
फर्क नही पड़ता की
दुनिया क्या कहती है
मैं खूबसूरत हूं बहुत
ये मेरी माँ कहती है
हजारों गम हों फिर भी
खुशी से फूल जाता हूं
जब हँसती है मेरी माँ
मैं हर गम भूल जाता हूं
सर पर जो हाथ फेरे
तो हिम्मत मिल जाए
माँ एक बार मुस्कुरा
दे तो जन्नत मिल जाए
न जाने क्यों आज के इंसान
इस बात से अनजान हैं
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में जिसे वो
माँ तो एक वरदान है
यूं ही नही गूंजती किलकारियां
घर आँगन के कोने में
जान हथेली पर रखनी
पड़ती है माँ को माँ होने में
मांगने पर जहाँ पूरी
हर एक मन्नत होती है
माँ के पैरों में ही तो
वो जन्नत होती है
गीता और कुरान लिखा
जब बात हुई पूरी दुनिया को
एक लफ्ज़ में लिखने की
तब मैने ‘माँ’ का नाम लिखा
आज किसी ने व्रत रखा
किसी ने उपवास रखा
कुबूल उसका हुआ जिसने
अपने माँ को अपने पास रखा
सख्त राहों में भी
आसान सफ़र लगता है
ये मेरी माँ की दुआओं
का असर लगता है
माँ के बिना दुनिया की
हर चीज़ कोरी है
दुनिया का सबसे सुंदर
संगीत माँ की लोरी है
जिसके होने से मैं खुद को
मुकम्मल मानता हूं
मेरे रब के बाद मैं बस
अपनी माँ को जानता हूं
सीधा साधा भोला भाला
मैं ही सब से सच्चा हूँ
कितना भी हो जाऊं बड़ा
माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ
वह माँ ही है जिसके रहते
जिंदगी में कोई गम नही होता
दुनिया साथ दे या ना दे पर
माँ का प्यार कभी कम नही होता
रुके तो चांद जैसी है
चले तो हवाओं जैसी है
वो माँ ही है, जो
धूप में भी छाँव जैसी है
ऊपर जिसका अंत नही
उसे आसमां कहते हैं
इस जहां में जिसका
अंत नही उसे माँ कहते हैं
ऐ खुदा रखना सलामत
सदा मेरी माँ को
वरना मेरी लंबी उम्र की
दुआ कौन करेगा
ऊपर जिसका अंत नहीं
उसे आसमां कहते हैं
इस जहाँ में जिसका अंत
नहीं उसे माँ कहते है
एक हस्ती है जान मेरी जो
जान से भी बढ़ कर है शान मेरी
रब्ब हुकम दे तो करदूं सजदा उसे
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी
एक कर्ज है जो
हर दम सवार रहता है
वो माँ का प्यार है
सब पर उधार रहता है
कदम जब चूम लें मंजिल
तो होंसला मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की
तो रास्ता मुस्कुराता है
उसकी मासूम मुस्कुराहट
देख वो भी गम भुला देती हैं
ये माँएं भी ना जाने कैसे
दर्द में भी मुस्कुरा देती हैं
माँ ने सर पर हाथ रखा तब
चैन मिला बीमारी में
अब पता चला की एक मसीहा भी
रहता है, घर की चारदीवारी में
पल्लू में कुछ पैसे बांधकर
आज भी माँ रखती है
अपने बच्चो के लिए हाज़िर
अपनी जहाँ रखती है
जज़्बात अलग हैं
पर बात तो एक है
उसे माँ कहूं या भगवान
बात तो एक है
बुलंदियों का बड़े से
बड़ा निशान छुआ
उठाया गोद में माँ ने
तब आसमान छुआ
तेरे ही आँचल में निकला बचपन
तुझ से ही तो जुड़ी हर धड़कन
कहने को तो माँ सब कहते हैं
पर मेरे लिए तो है तू भगवान
माँ और उसकी ममता
दोनो में नूर है
किसी हीरे की जरूरत कहां
मेरी तो माँ ही कोहिनूर है
मेरी तकदीर में कभी
कोई गम नही होता
अगर तकदीर लिखने का
हक मेरी माँ को होता
भटके हुए मुसाफिर को जैसे राह मिली
टूटा जब जब मैं मुझे माँ मिली
न जाने क्यों आज के इंसान
इस बात से अनजान हैं
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में जिसे
वो माँ तो एक वरदान है
वो जमीन मेरी वो ही आसमान
वो खुदा मेरा वो ही भगवान
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़
माँ के कदमों में है सारा जहान
मेरे गम और मेरी हँसी
का हिसाब कौन करेगा,
मेरी गलतियों को
माफ कौन करेगा
मांगने पर जहाँ पूरी
हर मन्नत होती है
माँ के पैरों में ही तो
वो जन्नत होती है
हजारों गम हों फिर भी
मैं ख़ुशी से फूल जाता हूँ
जब हंसती है मेरी माँ
मैं हर गम भूल जाता हूँ
तुम क्या सिखाओगे मुझे
प्यार करने का तरीका
मैने माँ के एक हाथ से थप्पड़
तो दूसरे हाथ से रोटी खाई है
लबों पर जिसके कभी
बद्दुआ नही होती
दुनिया में वो माँ ही है
जो कभी खफा नही होती
माँग लूँ यह दुआ कि
फिर यही जहान मिले
फिर वही गोद मिले
फिर वही माँ मिले
खुदा देखा, चाँद देखा,
न जाने मैने क्या क्या देखा
पर इस दुनिया में
माँ से खूबसूरत कुछ नही देखा
जन्नत का हर लम्हा
दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब
माँ ने प्यार किया था
किसी भी मुश्किल का अब
किसी को हल नही मिलता
शायद अब घर से कोई माँ के
पैर छूकर नही निकलता
तुझसे बढ़कर ना है कोई
ना तुझसा कोई प्यारा
माँ तू ही है खुदा हमारे लिए
जिसने हमें प्यार से पाला
सर पर जो हाथ फेरे तो
हिम्मत मिल जाये
माँ एक बार मुस्कुरा दे
तो जन्नत मिल जाये
जिस्म रोता है पर रूह नही होती,
दर्द उनसे पूछो जिनकी माँ नही होती
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
सब बदल जाते हैं यार भी, प्यार भी
बस एक माँ की मोहब्बत नहीं बदलती
जब दवा काम नही आती
तब माँ की दुआ काम आती
किस्मत की लकीरें
माँ की दुआओं से बनती हैं
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