श्री कृष्णा शायरी Shri Krishna Shayari in Hindi

 Krishna Shayari in Hindi

श्री कृष्णा शायरी


किसी की सूरत बदल गई
किसी की नियत बदल गई
जब से तूने पकड़ा मेरा हाथ
मेरी तो किस्मत ही बदल गई
जय श्री कृष्णा 

 

krishana shayari hindi

 कृष्णा मेरी भगति को अब 
नया अंजाम देने की तैयारी हैं
कल तक राधा दीवानी थी
आज मेरी बारी हैं 


लफ़ज़ काम हैं पर कितने प्यारे हैं
तुम हमारे हो और हम तुम्हारे हैं  


अब तो आँखों से भी 
जलन होती हैं मुझे ए कान्हा 
खुली हो तो तलाश तेरी 
और बंद हो तो ख्वाब तेरे  


तुम्हारी तस्वीर खींची थी मैंने
अब ये तस्वीर मुझे खींचती है  


कृष्णा आदत सी लग गयी है 
हर घडी तुम्हें सोचने की
इस प्रेम कहूं यां तेरी पूजा कहूं 


दुनिया के रंग क्या देखूं 
इक तेरा दीदार काफी है
क्यों भटकूं गैरों के दर पे 
तेरा दरबार काफी है 

मुझे ज्ञान उतना ही देना मेरे कृष्णा
के दखल न दे सकूँ तेरे कार्य में 


क्या मंदिर क्या तीरथ
क्या गंगा की धार करे
जब मन ही मैला कर बैठे तो 
कान्हा भी न उद्धार करे 


रंग दुनिया के देख लिए
तेरी भगति से गहरा न कोई
जिसके हृदय में तुम बसे
उसको जग की फ़िक्र न कोई 

ऐ मन तू अब कोई तप कर ले 
एक पल में सौ सौ बार 
हरे कृष्णा हरे कृष्णा 
हरे कृष्णा जप कर ले  


मेरे काज करे कृष्णा 
मुझे चिंता न कोई
करने वाला कर रहा 
जो करे सो होइ 


हे अर्जुन के सारथी कृष्णा 
मुझको भी ऐसा ज्ञान दो 
तेरी भगति की ज्योति को 
जलाये रखू ऐसा बरदान दो 


कर भरोसा कृष्ण नाम का
धोखा कभी न खायेगा 
हर संकट पर कृष्ण 
तेरे घर सबसे पहले आयेगा 


कोई कह दो यशोदा माँ से जाकर 
बातें अब बड़ी बड़ी बनाने लगे है 
श्याम माखन चुराते-चुराते 
अब तो दिल भी चुराने लगे है 


यदि प्रेम का मतलब 
सिर्फ पा लेना होता तो 
हर मंदिर में राधा-कृष्ण 
की  मूरत नही होती 


हे कान्हा तुम संग बीते वक़्त का 
मैं कोई हिसाब नहीं रखती 
मैं बस तेरी भगति में जीती हूँ 
और  कोई ख्वाब नहीं रखती 


हस्ती छोड़ी बस्ती छोड़ी 
खजाना सारा छोड़ दिया
कान्हा के प्रेम दीवानों ने 
सारा जमाना छोड़ दिया 


तेरी प्यारी सूरत कान्हा 
मेरे दिल में बसी जा रही है..
अब तो पहले से भी ज़्यादा
न तेरी याद आ रही है  


रंग बदलती दुनियाँ देखी 
देखा जग संसार 
दिल टूटा तब मन को 
भाया कृष्णा तेरा दरबार 


खुद को तुमसे जोड़ दिया
बाकि सब तुमपे छोड़ दिया  


हे प्रभु दे के दर्शन कर दो 
पूरी मेरे मन की तृष्णा
कब तक तेरी राह निहारूं 
अब तो आ जाओ कृष्णा 


दरबार हजारों देखे है 
पर ऐसा कोई दरबार नहीं 
जिस गुलशन में तेरा नूर न हो 
ऐसा तो कोई गुलजार नहीं 

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