Nida Fazli Shayari ( Poetry ) collection निदा फ़ाज़ली शायरी इन हिंदी

Nida Fazli Shayari collection in hindi - आज हम आपके लिए भारत के सबसे मशहूर शायर और साहित्यकार निदा फ़ाज़ली की सबसे बेहतरीन शायरी का कलेक्शन शेयर कर रहे हैं.

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Nida Fazli Shayari in hindi

1

धूप में निकलो घटाओं में नाहा कर देखो  

ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो  💓

2

खुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को  

बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख  💓

3

दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप को  

थोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे  💓

4

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है  

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं  💓

5

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला  

हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला 💓

6

वही हमेशा का आलम है क्या किया जाए  

जहाँ से देखिये कुछ काम है क्या किया जाए   💓

7

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें  

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए 💓

8

मेरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी  है  

मुझे संभल के रखना बिखर न जाऊं मैं  💓

9

तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है

जहां भी जाऊं, ये लगता है, तेरी महफिल है💓

10

ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गम हैं  

ज़बान मिली है मगर हम ज़बान नहीं मिलता  💓

11

अब  किसी  से  भी  शिकायत  न  रही  

जाने  किस  किस  से  गिला  था  पहले  💓

12

खुश हल घर शरीफ तबियत सभी का दोस्त  

वो शख्स था ज़ियादा मगर आदमी था काम  💓

13

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम  

हर क़लमकार की बेनाम खबर के हम हैं  💓

14

किस से पूछूं की कहाँ गम हूँ कई बरसों से  

हर जगह ढूंढता फिरता है मुझे घर मेरा  💓

15

कोशिश भी कर उम्मीद भी रख रास्ता भी चुन  

फिर इस के बाद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर  💓

16

एक बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा, चेहरा  

जिस तरफ देखिये आने को है आने वाला  💓

17

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं  तुम 

अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो  💓

18

बड़े  बड़े  ग़म  खड़े  हुए  थे  रास्ता  रोके  राहों  में  छोटी 

छोटी  खुशियों  से  ही  हम  ने  दिल  को  शाद  किया  💓

19

ये शहर है की नुमाइश लगी हुई है कोई  

जो आदमी भी मिला बन के इश्तिहार मिला  💓

20

खतरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन  

सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं  💓

21

तमाम शहर में ऐसा नहीं खुलूस न हो  

जहाँ उम्मीद हो इस की वहां नहीं मिलता  💓

22

तुम से छूट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था  

तुम  को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए  💓

23

कहाँ चराग़ जलाएं कहाँ गुलाब रखें  

छतें तो मिलती हैं लेकिन माकन नहीं मिलता  💓

24

किताबें यूं तो बहुत सी हैं मेरे बारे में  

कभी अकेले में खुद को भी पढ़ लिया जाए  💓

25

ग़म है आवारा अकेले में भटक  जाता  है  

जिस  जगह  रहिये  वहां  मिलते मिलते  रहिये  💓

26

हर घडी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा  

मैं ही कश्ती हूँ मुझि में है समुन्दर मेरा  💓

27

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफर के हम हैं  

रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं  💓

28

हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुरबानी  

गूंगी बहरी साड़ी भेड़ें चरवाहों की जागीरें हैं  💓

29

उस को रुखसत तो किया था मुझे मालुम न था  

सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला  💓

30

कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ  

लफ़्ज़ों से जुड़ा हो गए लफ़्ज़ों के मानी  💓

31

घी  मिश्री भी भेज कभी अखवारों  में  

कई दिनों से चाय है कड़वी या अल्लाह  💓

32

दूर के चांद को ढूंढो न किसी आँचल में  

ये  उजाला नहीं आंगन में सामने वाला  💓

33

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता  

जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता  💓

34

यक़ीन चांद पे सूरज में एतिबार भी रख  

मगर निगाह में थोड़ा सा इन्तिज़ार भी रख  💓

35

कभी  किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता  

कहीं ज़मीं कहीं आसमान नहीं मिलता  💓

36

हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ऐ-दिल कभी  

और  वो  समझे  नहीं  ये  ख़ामोशी क्या चीज़ है  💓

37

यही है ज़िन्दगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें  

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो  💓

38

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में  

जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता  💓

39

मेरी ग़ुरबत को शराफत का अभी नाम न दे  

वक़्त बदला तो तेरी रहे बदल जाएगी  💓

40

जितनी  बुरी  कही  जाती  है  उतनी  बुरी  नहीं  है  दुनिया  

बच्चों  के  स्कूल  में  शायद  तुम  से  मिली  नहीं  है  दुनिया  💓

41

ग़म हो की ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं  

फिर रास्ता ही रास्ता है हंसना है न रोना है  💓

42

बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां  

याद आती है! चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी मां  💓

43

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है  

मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है  💓

44

बदला न अपने आप को जो थे वही रहे  

मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे  💓

45

मुमकिन है सफर हो आसान अब साथ भी चल कर देखें  

कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें  💓

46

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता  

दिल मिले या न मिले हाथ मिलते रहिये  💓

47

सब कुछ तो है क्या ढूंढ़ती रहती हैं निगाहें  

क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता  💓

48

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा  

वो भी मेरी ही तरह शहर में तनहा होगा  💓

49

रिश्तों का एतिबार वफाओं का इन्तिज़ार  

हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं  💓

50

हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से  

ये और बात है की निशाने खता  हुए  💓

51

ये काटे से नहीं कटते ये बनते से नहीं बनते 

नदी के पानियों के सामने आरी  कटारी क्या  💓

52

किसी को टूटकर भी चाहा, किसी से खिंच के रहे

दुखों को भी झेला खुशी के दर्द सहे है 💓

53

दिल में न हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती  

खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती  💓

54

चराग़ जलते ही बिनाई बुझने लगती है  खुद 

अपने घर में ही घर का निशान नहीं मिलता  💓

 

nida fazli shayari on life

55

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता  

मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो  💓

56

बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी  

सलीक़ा चाहिए आवारगी में  💓

57

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक  

जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा  💓

58

मिज़ाज़ आवारा था फैला दिया आंगन को 

अब आकाश ही चादर है धरती ही बिछोना है 💓

59

जब किसी से कोई गिला रखना

सामने अपने आईना रखना 💓

60

नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूंढिए  

इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई  💓

61

होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज़ है  

इश्क़ कीजे फिर समझिये ज़िन्दगी क्या चीज़  है  💓

 

hosh walo ko khabar kya nida fazli poetry

62

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया  

बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया  💓

63

फैसला नज़रों का धोका भी तो हो सकता  है  

वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो  💓

64

दुश्मनी लाख हो पर “ख़त्म” न करना रिश्ता

दिल मिले या न मिले “हाथ” मिलाते रहना हमेशा 💓

65

इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी  

रात जंगल में कोई  शमा जलने से रही  💓

66

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं

फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है  💓

67

इतना सच बोल की होंठों का तबस्सुम न बुझे  

रौशनी  ख़त्म  न कर आगे अँधेरा होगा  💓

68

कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी खफा हैं  

हर एक से अपनी भी तबियत नहीं मिलती  💓

 

nida fazli sad poetry hindi


69

अपने लहजे की हिफाज़त कीजिये  

शेर हो जाते हैं न मालूम भी  💓

70

बरसात का बदल तो दीवाना है क्या जाने  

किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है  💓

71

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया  

होते ही सुबह आदमी खानो  में बट गया  💓

72

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा  💓

73

बाग़ में जाने के अदब हुआ करते हैं  

किसी तितली को न फूलों से उदय जाए  💓

74

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है  

सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है  💓

75

ज़रूरी  क्या  हर  इक  महफ़िल  में  बैठें  

तकल्लुफ  की  रवादारी  से  बचिए  💓

76

हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी  

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी  💓

77

वैसे तो एक आंसू भा कर मुझे ले जाये

ऐसे कोई तूफान हिला भी नहीं सकता  💓

78

दरिया हो यां पहाड़ हो टकराना चाहिए

जब तक न सांस टूटे जिए जाना चाहिए  💓

79

सबको अत नहीं दुनिया को सत्ता कर जीना 

जिंदगी क्या है मुहब्बत की जुबान से सुनिए  💓

80

मेरे आंगन में आए यां तेरे सर पर चोट लगे 

सन्नाटों  में बोलने  वाला  पत्थर  अच्छा  लगता  है  💓


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