Gulzar shayari in Hindi - Gulzar Poetry in Hindi गुलज़ार साहब के लिखें हुए दिल को छू जाने वाले shayari, ग़ज़लें, रोमांटिक कोट्स आज भी हर किसी के होठों पर हमेशा रहते हैं,
Gulzar shayari in Hindi
लौटने का ख्याल भी आएतो बस चले आना,इंतजार आज भी बड़ीबेसब्री से है तुम्हारा
एक बार तो यूँ होगा,थोड़ा सा सुकून होगाना दिल में कसक होगीना सर में जूनून होगा
पलक से पानी गिरा है,तो उसको गिरने दो,कोई पुरानी तमन्ना,पिंघल रही होगी
कहू क्या वो बड़ीमासूमियत से पूछ बैठे हैक्या सचमुच दिल के मारों कोबड़ी तकलीफ़ होती है
लड़ना चाहता हूँ अपनों सेपर डरता हूँ,कही जीता गया तोहार जाऊंगा
फासलों का एहसासतब हुआ जब मैने कहाठीक हूँ औरउसने मान भी लिया
सहम सी गयी है ख्वाहिशेंज़रूरतों ने शायद उनसेऊँची आवाज मेंबात की होगी
मैं चुप कराता हूं हरशब उमड़ती बारिश कोमगर ये रोज़ गई बातछेड़ देती है
बहुत मुश्किल से करता हूँ,तेरी यादों का कारोबार,मुनाफा कम है,पर गुज़ारा हो ही जाता है
कभी जिंदगी एक पल मेंगुजर जाती हैकभी जिंदगी का एकपल नहीं गुजरता
मैंने मौत को देखा तो नहींपर शायद वो बहुत खूबसूरत होगीकमबख्त जो भी उससे मिलता हैंजीना ही छोड़ देता हैं
काश मोहब्बत में भीचुनाव होतेगजब का भाषण देते तुम्हेपाने के लिए
रोना उनके लिएजो तुम पर निसार हो,उसके लिए क्या रोनाजिनके आशिक़ हजार हों.
किसी ने धूल क्या झोंकीआँखों मेंकम्बख्त पहले सेबेहतर दिखने लगा
उनकी ना थी कोई खताहम ही गलत समझ बैठेवो मोहब्बत से बात करते थेहम मोहब्बत समझ बैठे !
अलग ही इज्जत है चाय मेंइलाइची की भी,हर किसी के लिए नहींडाली जाती
फुर्सत में करेंगे तुझसेहिसाब ऐ ज़िन्दगीअभी तो उलझे है खुदको सुलझाने में
इसलिए पसंद है किताब मुझेवो टूटकर बिखर जानापसंद करेगी मगरअपने लफ्ज़ बदलना नही
कहू क्या वो बड़ीमासूमियत से पूछ बैठे हैक्या सचमुच दिल के मारों कोबड़ी तकलीफ़ होती है
लफ़्ज़ों के जायके होते हैपरोसने से पहलेचख भी लेना चाहिए
मेरे किरदार से वाकिफहोने की कोशिश मत करउसे समझने में दिल लगेगाऔर तुम दिमाग वाले हो
न जाने कैसे परखता हैमुझे मेरा खुदाइम्तिहान भी सख्त लेता हैऔर हारने भी नहीं देता
ग़म मौत का नहीं है,ग़म ये के आखिरी वक़्त भीतू मेरे घर नहीं है
कैसे करें हम ख़ुद कोतेरे प्यार के काबिलजब हम बदलते हैंतुम शर्ते बदल देते हो
वक्त का कुछ ऐसा सितम थाजब इश्क़ था तुमसेतुम्हारे पास मेरे लिएवक़्त कम था
समेट लो इन नाज़ुक पलो कोन जाने ये लम्हे कल हो न होहो भी ये लम्हे क्या मालूमशामिल उन पलों में हम हो न हो
मैंने मौत को देखा तो नहींपर शायद वो बहुत खूबसूरत होगीकमबख्त जो भी उससे मिलता हैंजीना ही छोड़ देता हैं
दिल तो रोज़ कहता हैकि तुम्हे कोई सहारा चाहिए,फिर दिमाग कहता हैक्यों तुम्हे धोखा दुबारा चाहिए.
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बहुत कम लोग हैंजो मेरे दिल को भाते हैं,और उससे भी बहुत कम हैंजो मुझे समझ पाते हैं.
छोटा सा साया थाआँखों में आया थाहमने दो बूंदोंसे मन भर लिया
हुस्न का क्या काम सच्चीमोहब्बत मेंरंग साँवला भी हो तोयार कातिल लगता है
तन्हाई की दीवारों परघुटन का पर्दा झूल रहा हैं,बेबसी की छत के नीचे,कोई किसी को भूल रहा हैं
तारीफ़ अपने आप की करनाफ़िज़ूल हैख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती हैकौन सा फूल है
मुकम्मल इश्क से ज्यादा तो चर्चेअधूरी मोहब्बत के होते हैं !
थक गया था उसकीपरवाह कर कर केबड़ा सुकून सा है जब सेलापरवाह हुआ हूँ
ये कैसा रिश्ता हुआइश्क में वफ़ा का भलातमाम उम्र में दो चारछ: गिले भी नहीं
किसी ने मुझसे पूछा कीदर्द की कीमत क्या हैमैंने कहा, मुझे नही पतामुझे लोग फ्री में दे जाते हैं
हर कोई परेशान हैमेरे कम बोलने से,और मै परेशान हूंअपने अंदर के शोर से.
गुस्सा भी क्या करूंतुम परतुम हंसते हुए बेहदअच्छे लगते हो
कोई तो करता होगा हमसे भीखामोश मोहब्बत.किसी का हम भी अधूराइश्क रहे होंगे
तन्हाइयां कहती हैंकोई महबूब बनाया जाए,जिम्मेदारियां कहती हैंवक़्त बर्बाद बहुत होगा.
सालों बाद मिले वोगले लगाकर रोने लगे,जाते वक़्त जिसने कहा थातुम्हारे जैसे हजार मिलेंगे.
मेरे कंधे पर कुछ यूंगिरे उनके आंसू ,कि सस्ती सी कमीज़अनमोल हो गई.
सब तारीफ कर रहे थेअपने अपने महबूब का,हम नीद का बहाना बना करमहफ़िल छोड़ आए.
उतार कर फेंक दी उसनेतोहफे में मिली पायल,उसे डर था छनकेगी तोयाद जरूर आऊंगा मै.
बहुत करीब से अनजान बनकेगुजरा है वो शख्स,जो कभी बहुत दूर सेपहचान लिया करता था.
थोड़ा सा रफूकर के देखिए नाफिर से नई सी लगेगी,जिंदगी ही तो है..
मांगा नही रब से तुम्हेलेकिन इशारा तुम्हीं पर था,नाम बेशक नही लियामगर पुकारा तुम्हीं को था..
तुझसे दूर जाने काकोई इरादा ना था,पर रुकते आखिर कैसेजब तू ही हमारा न था..
मुझे मालूम था कि वोमेरा हो नही सकता,मगर देखो मुझे फिर भीमोहब्बत हो गई उससे.
कौन कहता है किहम झूठ नही बोलते,एक बार खैरियततो पूछ के देखिए..
तुम्हारी आदत सीहो गई थी हमें,मालूम तो हमे भी था कितुम नसीब में नही हो.
मेरी आंखों ने पकड़ा हैउन्हें कई बार रंगे हाथवो इश्क करना तो चाहते हैंमगर घबराते बहुत हैं !
gulzar ishq shayari in hindi
लगता है जिंदगीआज खफा है,चलिए छोड़िएकौनसी पहली दफा है !
कयामत तक याद करोगेकिसी ने दिल लगाया था,एक होने की उम्मीद भी न थीफिर भी पागलों की तरह चाहा था।
हर पल में हंसने काहुनर था जिनके पास,आज वो रोने लगे हैं तोकोई बात तो होगी ना !
नही करता मै तेरा जिक्रकिसी तीसरे से,तेरे बारे में बात सिर्फखुदा से होती है।
ठुकराया हमने भी हैबहुतों को तेरे खातिरतुझसे फासला भी शायदउनकी बद्दुआओं का असर है।
इस दिल में बस कर देखो तो,ये शहर बड़ा पुराना है,हर साँस में कहानी है,हर साँस में अफ़साना है,
तू समझता क्यूं नही है,दिल बड़ा गहरा कुआँ है,आग जलती है हमेशा,हर तरफ धुआँ धुआँ है,
उम्मीद तो नही,फिर भी उम्मीद हो,कोई तो इस तरह,आशिक़ शहीद हो,
बस इतना सा असर होगाहमारी यादों का,की कभी कभी तुम बिनाबात के मुस्कुराओगे..
हमेशा से तो नही रहा होगातू भी सख्त दिलतेरी भी मासूमियत से भीकिसी ने खेला होगा !
फिक्र है इज्जत की तोमोहब्बत छोड़ दो जनाब,आओगे इश्क की गली मेंतो चर्चे जरूर होंगे.
सफर छोटा ही सहीपर यादगार होना चाहिए,रंग सांवला ही सहीपर वफादार होना चाहिए..
मेरे उजड़े उजड़े से होठों में,बड़ी सहमी सहमी रहती है जबाँ,मेरे हाथों पैरों में खून नही,मेरे तन बदन में बहता है धुँआ,
तुझे पाने की जिद थीअब भुलाने का ख्वाब है,ना जिद पूरी हुई औरना ही ख्वाब.
अपनी पीठ से निकलेखंजरों को जब गिना मैंनेठीक उतने ही निकलेजितनो को गले लगाया था !
बड़े बेताब थे वोमोहब्बत करने को हमसेजब हमने भी कर ली तोउनका शौक बदल गया !
कहने को तो बसबातें हो जाती हैं, पर दिलखोलकर बात किए हुएजमाना हो गया
अब मत मिलनातुम दोबारा मुझे,वक़्त बहुत लगा हैखुद को संभालने में.
ख़ामोश रहने में दम घुटता हैऔर बोलने से ज़बान छिलती हैडर लगता है नंगे पांव मुझेकोई कब्र पांव तले हिलती है
रोना उनके लिएजो तुम पर निसार हो,उसके लिए क्या रोनाजिनके आशिक़ हजार हों..
सच कहा थाएक फकीर ने मुझसे,तुझे मोहब्बत तो मिलेगीपर तड़पाने वाली !
अब टूट गया दिलतो बवाल क्या करें,खुद ही किया था पसंदअब सवाल क्या करें
अगर मोहब्बत उससे ना मिलेजिसे आप चाहते हो,तो मोहब्बत उसको जरूर देनाजो आपका चाहते हैं…
इतने बुरे नही थेजितने इल्ज़ाम लगाए लोगों ने,कुछ किस्मत खराब थीकुछ आग लगाई लोगों ने
“ सब तरह की दीवानगीसे वाकिफ हुए हम,पर मा जैसा चाहने वालाजमाने भर में ना था !
सच बड़ी काबिलियत सेछुपाने लगे हैं हम,हाल पूछने पर बढ़ियाबताने लगे हैं हम.
पल्लू गिर गया,पर वो घबराई नहींउसे यकीन था मेरीनजर झुकी होगी..
हम झूठों के बीच मेंसच बोल बैठेवो नमक का शहर थाऔर हम जख्म खोल बैठे
कोई रंग नही होताबारिश के पानी में,फिर भी फिजा को रंगीनबना देती है..
हंसना मुझे भी आता थापर किसी ने रोना सिखा दिया,बोलने में माहिर हम भी थेकिसी ने चुप रहना सिखा दिया.
जीना भूले थे कहां याद नहींतुमको पाया है जहाँ,सांस फिर आई वहीं,
तिनका सा मै औरसमुंदर सा इश्क,डूबने का डर औरडुबाना ही इश्क.
वो सफर बचपन के अब तकयाद आते हैं मुझे,सुबह जाना हो कहीं तोरात भर सोते नही थे..!
वो शाम कुछ अजीब थीये शाम भी अजीब हैवो कल भी पास पास थीवो आज भी करीब है
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दिल तो रोज़ कहता हैकि तुम्हे कोई सहारा चाहिए,फिर दिमाग कहता हैक्यों तुम्हे धोखा दुबारा चाहिए.
बातों से सीखा है हम नेआदमी को पहचानने का फनजो हल्के लोग होते हैंहर वक़्त बातें भारी भारी करते हैं..
कहीं किसी रोज यूं भी होताहमारी हालत तुम्हारी होतीजो रातें हमने गुजारी मरकेवो रातें तुमने गुजारी होती
कमियां तो पहले भी थींमुझमेंअब जो बहाना ढूंढ़ रहे होतो बात अलग है…
आइने के सामने खड़े होकरखुद से ही माफी मांग ली मैंने,सबसे ज्यादा अपना ही दिल दुखाया हैऔरों को खुश करते करते..
नजर भी ना आऊंइतना भी दूर ना करो मुझे,पूरी तरह बदल जाऊंइतना भी मजबूर मत करो मुझे..
उम्मीद भी अजनबी लगती हैऔर दर्द पराया लगता हैआईने में जिसको देखा थाबिछड़ा हुआ साया लगता है
सजा ये है की बंजर ज़मींहूँ मैं औरजुल्म ये है की बारिशों सेइश्क़ हो गया
दोस्ती रूह में उतरा हुआरिश्ता है साहब,मुलाकातें कम होने सेदोस्ती कम नही होती.
किसी को उजाड़ करबसे तो क्या बसे,किसी को रुला करहंसे तो क्या हंसे..
तुझसे दूर जाने काकोई इरादा ना था,पर रुकते आखिर कैसेजब तू ही हमारा न था.
तुम्हारी आदत सीहो गई थी हमें,मालूम तो हमे भी था कितुम नसीब में नही हो.
फिक्र है इज्जत की तोमोहब्बत छोड़ दो जनाब,आओगे इश्क की गली मेंतो चर्चे जरूर होंगे..!
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