Bashir Badr poetry - बशीर बद्र साहेब की शायरी का खूबसूरत संग्रह हमारी वेबसाइट से पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। Bashir Badr shayari बहुत आसान शब्दों की भाषा में लिखी हुयी है, जो पड़ने वालों के दिल में गहरी छाप छोड़ जाती है।
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
इस शहर के बादल तेरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं
ये आग लगते हैं बुझाने नहीं आते
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पाथेर नहीं देखा
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख हवा में
फिर लोट के बचपन के जमाने नहीं आते
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फैसला रखना
जहाँ दरिया समुन्दर से मिला दरिया नहीं रहता
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी
ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे
मुहबत एक खुशबु है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तनहा नहीं रहता
ज़िन्दगी तूने मुझे क़ब्र से काम दी है ज़मीं
पाँव फाइलों तो दीवार में सर लगता है
लोग टूट जाते है अपना घर बनाने में
तुम टीआरएस नहीं कहते बस्तियां जलाने में
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफा नहीं होता
उसे किसी की मुआहब्बत का ऐतबार नहीं
उसे जमाने ने शायद बहुत सताया है
मुझे मालूम है फिर उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमा छूने में जब नाकाम हो जाये
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाईश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों
गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस दाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोते हैं
मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते है
मैं जब सो जॉन इन आँखों पे अपने होंठ रख देना
यकीं आ जायेगा पलकों टेल भी दिल धड़कता है
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
मैं खुद भी एहतियान उस गली से काम गुजरता
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाये
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा
नए डोर के नए ख्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मुहब्बतों के चराग हैं इन्हे नफरतों की हवा न दें
हम तो कुछ देर हंस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
साथ चलते जा रहे हैं पास आ सकते नहीं
इक नदी के दो किनारों को मिला सकते नहीं
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
फूल की आँख में शबनम क्यों है
सब हमारी ही कहता हो जैसे
वही लिखने पड़ने का शोक था वही लिखने पड़ने का शोक है
तेरा नाम लिखना किताब पर, तेरा नाम पड़ना किताब में
कितनी सचाई से मुझसे जिंदगी ने कह दिया
तुन नहीं मेरा तो को दूसरा हो जायेगा
उन्ही रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मुझे रोक रोक पूछा तेरा हम सफर कहाँ है
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
हम भी दरिया है हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए
गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता
वो अब वहाँ है जहां रस्ते नहीं जाते
मैं जिसके साथ यहां पिछले साल आया था
यूँ तरस खा के न पूछो अहवाल
तीर साइन पे लगा हो जैसे
मैं तेरे साथ सितारों से गुजर सकता हूँ
कितना आसान मुहब्बत का सफर लगता है
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं माँ हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा
महलों में हमने कितने सितारे सजा दिए
लेकिन जमीं से चाँद बहुत दूर हो गया
मेरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफर में
वही दुःख भरी जमीं है वही गम का आस्मां है
जब हम सलाह के लिए एक दूसरे की तरफ देखते हैं
तब हम अपने दुश्मनों की संख्या घटा लेते हैं
लहजा की जैसे सुबह की खुशबु अजान दे
जी चाहता है तेरी आवाज़ को चुम लूँ
बहुत दिनों से दिल अपना खाली खाली सा
ख़ुशी नहीं तो उदासी से भर गए होते
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
जिस पर हमारी आँख ने मोती सजाये रात भर
भेजा वही कागज उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं
मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
मुझे लगता है की दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
तुझे लिखूं तो मेरी उंगलिया ऐसे धड़कती है
कोई हाथ भी न मिलेगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फैसले से मिला करो
कोई फूल सा हाथ कंधे पे था
मीरे पाँव शॉलों पे जलते रहे
कभी तो आसमानसे चाँद उतरे जाम हो जाये
तुम्हारे नाम की इक खूबसूरत शाम हो जाये
न जाने कब तेरे दिल पर नयी सी दस्तक हो
मकान खली हुआ है कोई तो आएगा
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गोहर बरसे
और इस दिल की तरफ बरसे तो पत्थर बरसे
कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है किस्मत का लिखा भी बदलता है
इस लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है
कोई फूल लाख करीब हो कभी मैंने उसको छुआ नहीं
तुझे भूल जाने की कोशिशें कभी कामयाब न हो सकीं
तेरी याद शाख ऐ गुलाब है जो हवा चली तो लचक गयी
मैं तमाम तारे उठा उठा के गरीब लोगों में बाँट दूँ
वो जो एक रात को आसमान का निज़ाम दे मेरे हाथ में
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िन्दगी कर ली
मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फकीरों से मिले
इक उस को पाने के लिए क्या क्या किया क्या क्या हुआ
कमरे वीरान आंगन खली फिर ये कैसी आवाज़ें
शायद मेरे दिल की धड़कन चुनी है इन दीवारों में
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैंउम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफिर थे खो गए उजालों में
अगर फुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हजारों सालो का अफसाना लिखता है
दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है
अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते
पत्थर के जिगर वालो गम ने वो रवानी है
खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ऐ-जब्र में
जो ज़िन्दगी को जीत ले वो ज़िन्दगी का मर्द है
कभी कभी तो छलक पड़ती है यूँ ही आंखे
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
Bashir Badr's popular ghazal in Hindi
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे
के अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
खतावार समझेगी दुनिया तुझे
के इतनी ज्यादा सफाई न दे
हसो आज इतना की इस शोर में
सदा सिसकिओन की सुनिआई न दे
अभी तो बदन में लहू है बहुत
कलम छीन ले रोशनाई न दे
खुदा ऐसे अहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे
Post a Comment