रहता तो नशा तेरी 💔यादों का ही है,कोई पूछे तो कह देता हूँ पी रखी है।
याद में नशा 💖करता हूँ…और नशे में याद करता हूँ…
मोहब्बत नही तो मुकदमा हि दायर कर दे जालिम,तारीख दर तारीख तेरा 💔दीदार तो होगा।
दुआ करना दम भी 💘उसी तरह निकले,जिस तरह तेरे दिल से हम निकले।
टूट कर चाहना और फिर टूट😪 जाना,बात छोटी है🤔 मगर जान निकल जाती है।
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया,एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
रात तकती रही आँखो में, 💙दिल आरजू करता रहा,कोई बे-सबर रोता रहा, कोई बे-खबर सोता रहा..!!
वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए।
हमने उतार दिए सारे कर्ज तेरी मुहब्बत के,अब हिसाब होगा तो सिर्फ तेरे दिए हुए जख्मों का।
सजा ये है की बंजर जमीन हूँ मैं,और जुल्म ये है की बारिशों से इश्क़ हो गया।
कत्ल हुआ हमारा इस तरह किस्तों में,कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए।
सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले,हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया।
अभी एक टूटा तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था,चाँद को कोई फर्क न पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।
दर्द मुझको ढूंढ लेता है, रोज नए बहाने से,वो हो गया वाकिफ़, मेरे हर ठिकाने से।
खता उनकी भी नहीं है वो क्या करते,हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।
फ़रियाद कर रही है तरसी हुई निगाहें,किसी को देखे एक अरसा हो गया।
वो सोचती थी बड़े चैन से सो रहा हूँ मैं,उसे क्या पता ओढ़ के चादर रो रहा हूँ मैं।
तन्हाई की चादर ओढ़कर रातों को नींद नहीं आती हमें,गुजर जाती है हर रात किसी की बातों को याद करते करते।
शीशे में डूब कर, पीते रहे उस “जाम” को,कोशिशें तो बहुत की मगर, भुला ना पाए एक “नाम” को।
बिखरती रही जिंदगी बूँद-दर-बूँद,मगर इश्क़ फिर भी प्यासा रहा।
कैसे दूर करूँ ये उदासी, बता दे कोई,लगा के सीने से काश, रुला दे कोई।
अच्छा है आँसुओं का रंग नहीं होता,वरना सुबह के तकिये रात का हाल बयां कर देते।
अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया,भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया।
माफ़ी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं।
अब मोहब्बत नहीं रही इस जमाने में,क्योंकि लोग अब मोहब्बत नहीं मज़ाक किया करते है।
निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से,भीगे कागज़ की तरह,न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के
#हमारी #यारी गणित के zero जैसी है,
जिसके #साथ रहते हैं उसकी #कीमत बढा देते हैं
शादिओं में औरतें एक दूसरे की ड्रेस देख कर
जलती हैं
पुरुष एक दूसरे की बीवी देख कर
करलो हम से #दोस्ती लड़ना #मुश्किल होगा,
वरना लिखेंगे #इतिहास ऐसा पढना #मुश्किल होगा...
पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का हाल,
अब शहर भर में ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है।
होने लगे रुखसत मेरा दामन पकड़ लिया,
जाओ नही कहकर मुझे बाँहों मे भर लिया।
भूले हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम,
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए
ये कौन है कि जिसका जिस्म हमसे ज़िन्दा है
हमें तो चेहरा भी आईने में अपना नहीं लगता।
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
जीत लेते हैं हम मुहोब्बत से गैरों का भी दिल,
पर ये हुनर जाने क्यों अपनों पर चलता ही नहीं।
भरे बाजार से अक्सर मैं खली हाथ आता हूँ ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते .
लोग बेवजह ढूंढ़ते हैं खुदकुशी के तरीके हजार,
इश्क करके क्यों नहीं देख लेते वो एक बार।
बुढे माँ बाप को अपने घर से निकाल रख़ा है,
अजिब शौख़ है बेटे का कुतों को पाल रख़ा है।
ये अलग बात है दिखाई न दे मगर शामिल जरूर होता है,
खुदकुशी करने वाले का भी कोई कातिल जरूर होता है।
ये सोच के कटवा दिया कमबख्त ने वो पेड़,
आँगन में मेरे है और पड़ोसी को हवा देता है