रामप्रसाद बिस्मिल की कवितायेँ गीत और शायरी Ram parsad bismil poems in hindi

अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की क्रन्तिकारी कवितायेँ , शायरी और गजलें पढ़ने के लिए आपको हमारी वेबसाइट वेब्शायरी.इन में विजिट करना चाहिए .बिस्मिल एक हिन्दू ब्राह्मण के घर जन्मे  ऐसे बहादुर और निडर देश भगत थे . जिनके द्वारा लिखे गए सभी गीत हर देश भगत के सीने आज़ादी प्राप्त करने की चिंगारी भड़का देता था इसी लिए उनके द्वारा लिखा हुआ गीत मेरा रंग दे बसंती चोला शहीद भगत सिंह जी भी अक्सर गुनगुनाया करते थे .आज इस पोस्ट में आपके लिए रामप्रसाद बिस्मिल जी की प्रसिद्ध कविताएं और गीत लेकर आया हूँ जिन्हे आप अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं . और याद भी करवाएं . 


Ram parsad bismil poems in hindi


रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ ,गीत और शायरी 

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,

हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं


कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं

मगर इस पर भी हम जी से उनको याद करते हैं


असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता,

रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं


रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका,

कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं


यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में

वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं


सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,

वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं


यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते,

हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?


कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’,

तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं

Ram parsad bismil poems in hindi 

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना...

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना

मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना


करुँ  कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख

अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना 


लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखूं हिन्दी

चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढ़ना खाना


भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की

स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना


लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन

करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना

नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से “बिस्मिल” तुम
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना

Ram parsad bismil poems in hindi 

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ...

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ ।

मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।


माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला ;

जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊँ ।।


जिससे सपूत उपजें, श्रीराम-कृष्ण जैसे ;

उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।


माई समुद्र जिसकी पदरज को नित्य धोकर ;

करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।


सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर ;

वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।


तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मन्त्र गाऊँ ।

मन और देह तुझ पर बलिदान मैं चढ़ाऊँ ।।

Ram parsad bismil poems in hindi 

वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,


वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो ।।

मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या...


मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या !

दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या !


मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल ,

उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या !


ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में ,

फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या !


काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते ,

यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या !


आख़िरी शब दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प ,

सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या !

 रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ गीत और शायरी


Ram parsad bismil poems in hindi 

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।

प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।।


अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में, 

संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो ।


तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो ।।

तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो ।।


वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,

वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो ।।


रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ ,गीत और शायरी 


ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।

प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।।


अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में, 

संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो ।


तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो ।।

तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो ।।


Ram parsad bismil poems in hindi 

मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या 
दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या 

मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल,
उस घड़ी ग़र नामावर लेकर पयाम आया तो क्या !

ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में,
फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या !

काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते,
यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या !

आख़िरी शब दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प,
सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या !



Ram parsad bismil poems in hindi 

दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा,
एक बार ज़माने को आज़ाद बना दूंगा

बेचारे ग़रीबों से नफ़रत है जिन्हें, एक दिन,
मैं उनकी अमीरी को मिट्टी में मिला दूंगा

यह फ़ज़ले-इलाही से आया है ज़माना वह,
दुनिया की दग़ाबाज़ी दुनिया से उठा दूंगा

ऐ प्यारे ग़रीबो! घबराओ नहीं दिल में
हक़ तुमको तुम्हारे, मैं दो दिन में दिला दूंगा

बंदे हैं ख़ुदा के सब, हम सब ही बराबर हैं,
ज़र और मुफ़लिसी का झगड़ा ही मिटा दूंगा

जो लोग ग़रीबों पर करते हैं सितम नाहक़,
गर दम है मेरा क़ायम, गिन-गिन के सज़ा दूंगा

हिम्मत को ज़रा बांधो, डरते हो ग़रीबों क्यों?
शैतानी क़िले में अब मैं आग लगा दूंगा।

ऐ ‘सरयू’ यक़ीं रखना, है मेरा सुख़न सच्चा,
कहता हूं, जुबां से जो, अब करके दिखा दूंगा
 रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ गीत और शायरी


Ram parsad bismil poems in hindi 

यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में,
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं।

सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं।

यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते,
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?

कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’,
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।   
 रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ गीत और शायरी


Ram parsad bismil poems in hindi 

हे मातृभूमि: राम प्रसाद बिस्मिल

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सर नवाऊं
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊं ।।

माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला ;
जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊं ।।

जिससे सपूत उपजें, श्रीराम-कृष्ण जैसे 
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊं ।।

माई समुद्र जिसकी पदरज को नित्य धोकर 
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊं ।।

सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर 
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूं सुनाऊं ।।

तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मन्त्र गाऊं
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं चढ़ाऊं ।।
 रामप्रसाद बिस्मिल जी की कवितायेँ गीत और शायरी


Ram parsad bismil poems in hindi 

1927 में  शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अश़फ़ाक उल्ला खाँ व उनके कई अन्य साथी काकोरी कांड के लिए जिम्मेदार ढहराये गए थे . इस लिए वे सभी जेल में थे .वो बसंत ऋतू का समय था  वही पर उनसे किसी ने बसंत पर कुछ लिखने को कहा और उन्होंने एक ऐसे क्रन्तिकारी गीत को लिख दिया .और देखते ही देखते  जिसे गाना हर देश भगत अपनी शान समझने लगा 


रंग दे बसन्ती चोला

“मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।
इसी रंग में गांधी जी ने, नमक पर धावा बोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में वीर शिवा ने, माँ का बन्धन खोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में भगत दत्त ने छोड़ा बम का गोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में पेशावर में, पठानों ने सीना खोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में बिस्मिल अशफाक ने सरकारी खजाना खोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में वीर मदन ने गवर्नमेंट पर धावा बोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।

इसी रंग में पद्मकान्त ने मार्डन पर धावा बोला ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला ।”



आज हमने रामप्रसाद बिस्मिल जी की कुछ चुनिंन्दा कवितायेँ , गीत गजल और शायरी पेश की हैं . हमारी आपसे विनती है की आप पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा व्हाट्सप्प पर शेयर करें ताकि जो भी इसे पड़े उनके मन  में भी देश भगति की चिंगारी प्रज्वलित हो जाये . अपने छोटे बच्चों को इन पंक्तिओं को याद भी करवाना चाहिए , ताकि स्कूल के फंक्शन , 26  जनवरी , 15  अगस्त आदि मौकों पर  वो इस गीत को गा सकें .


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