Rahat Indori shayari top collection- डॉ. राहत इंदौरी की मशहूर शायरी

आशिको कैसे हो आप ,आज हम आपके लिए (Rahat Indori shayari top collection)रहत इन्दोरी जी की सबसे बेस्ट शायरी लेकर आए है ,फरयाद करता हु की या तो आपको मिल जाये आपका प्यार ,शायर वही बनता है जिसकी महबूबा सबसे खूबसूरत हो जब वो बोले तो मुँह से शब्दों की जगह फूल वरसें, जब वो चले तो दिल की धड़कने तेज हो जाएँ . उसकी अदाएं रात को सोने न दें , हैंडपंप से पानी तो कोई भी निकल सकती है लेकिन माशूका ऐसी होनी चाहिए जो बंजर जमीन पर भी हरियाली ला दे.

rahat indori

Yoon To Har Phool Kehta Hai Ki Todo Mat
Dil Machalta Hai To Kehta Hai Chodo Mat

यूं तो हर फूल कहता है की तोड़ो मत
दिल मचलता है तो कहता है छोड़ो मत

rahat indori shayari in hindi

ajnabi khwahishe sine me dwa bhi na saku
aise jidi hai parinde ki uda bhi na saku
foonk dalu kisi roj mai dil ki duniya
ye tra khat to nahi hai ki jla bhi na saku

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ

दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतलें खोल के तो पी बरसों
आज दिल खोल के पी जाए

dosti jab bhi kisi se ki jaye
dushmano ki raye li jaye
botle khol ke to pee barso
aaj dil khol ke pee jaye

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे

aisy sardi hai ki suraj bhi duhayi mange
jo ho pardes me wo kis,se rjayi mange

rahat indori motivational shayari

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते

hath khali hai tere shahr se jate jate
jaan hoti jo meri jaan lutate jate
ab to har hath ka pather hame pahchanta hai
umar gujri hai tere shahr me ate jate

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए

ishak ne guthe the jo gajre nukile ho gaye
tere hatho me to ye kangan dhile ho gaye
fool bechare akele rah gaye shakh pr
gaon ki sab titlio ke haath pile ho gaye

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं

roj taron ko numayish me khalal padta hai
chand pagal hai andhere me nikal padta hai
uski yaad ayi hai sanso jra dhire chalo
dhadkano se bhi ibadat me khalal padta hai

rahat indori motivational shayari in hindi


इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ

intezam naye sire se sambhale jaye
jitne kamjarf hai mahfilse nikale jaye
mera ghar aag ki lapto me chhupa hai lekin
tab mjaa hai jab tere angan me ujala jaye

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए

shahar kya dekhe ki har manjar me jale pad gaye
aisy garmi hai ki pile fool kale pad gaye

अब न मैं हूँ, न बाकि है ज़माने मेरे
फिर भी मशहूर है शहरों में फ़साने मेरे
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जायेगे
अब भी बाकि है कई दोस्त पुराने मेरे

ab na mai hu na baki hai jmane mere
fir bhi mashhoor hai shahro me fsane mere
jindagihai to naye jakham bhi lag jayenge
ab bhi baki hai kayi dost purane mere

rahat indori in hindi download

Aate Jate Hain Kayi Rang Mere Chehre Par,
Log Lete Hain Mazaa Zikr Tumhara Kar Ke.

आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।

Rahat Indori Best Shayari


Phoolo Ki Dukane Kholo Khushbu Ka
Vyapar Karo
Ishq Khata Hai To Ise Ek Bar Nahi
Soo Bar Karo

फूलों की दुकान खोलो खुशबु का
व्यापार करो
इश्क खता है तो इसे एक बार नहीं
सौ बार करो

Mujhse Pehle Wo Kisi Aur Ki Thi
Magar Kuch Shayrana Chahiye Tha
Chalo Mana Ye Choti Baat Hai Par
Tumhe Sab Kuch Batana Chahiye Tha

मुझसे पहले वो किसी और की थी
मगर कुछ शायराना चाहिए था
चलो माना ये छोटी बात है पर
तुम्हे सब कुछ बताना चाहिए था

Suna Hai Bahut Barish Hai Tumhare Shehar Me
Jyada Bhigna Mat
Agar Dhul Gayi Sari Galatfemiyaan
To Bahut Yaad Aayege Hum

सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में
ज्यादा भीगना मत
अगर धुल गयी सारी गलतफमियां
तो बहुत याद आयेंगे हम

rahat indori shayari on politics

Mera Zameer, Mera Etbaar Bolta Hai
Meri Zubaan Se Parvardigar Bolta Hai
Kuch Aur Kam To Jaise Use Aata Hi Nahi
Magar Wo Jhuth Bahut Shandar Bolta Hai

मेरा ज़मीर, मेरा एतबार बोलता है
मेरी जुबां से परवर्दिगार बोलता है
कुछ और काम तो जैसे उसे आता ही नहीं
मगर वो झूठ बहुत शानदार बोलता है

Ungliya Yoon Na Sab Par Uthaya Karo
Kharch Karne Se Pehle Kamaya Karo
Zindagi Kya Hai Khud Hi Samajh Jaoge
Barish Me Patange Udaya Karo

उंगलिया यूँ न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिश में पतंगे उड़ाया करो

Kya Kharidoge Ye Bazaar Bahut Mehnga Hai
Pyaar Ki Zid Na Karo, Pyaar Bahut Mehnga Hai

क्या खरीदोगे ये बाजार बहुत महंगा है
प्यार की ज़िद न करो, प्यार बहुत महंगा है

Aa Jate Hai Kai Rang Mere Chehre Par
Log Lete Maja Zikar Tumahra Kar Ke

आ जाते है कई रंग मेरे चेहरे पर
लोग लेते मजा जिक्र तुम्हारा कर के

Jagne Ki Bhi Jagane Ki Bhi
Aadat Ho Jaye
Kash Tujhe Bhi Kisi Shayar Se
Mohabbat Ho Jaye

जागने की भी जगाने की भी
आदत हो जाये
काश तुझे भी किसी शायर से
मोहब्बत हो जाये

Bas Yahi Do Maslein
Zindagi Bhar Na Hal Hue
Na Nind Poori Hui
Na Khawab Muqammal Hue

बस यही दो मसले
ज़िन्दगी भर ना हल हुए
ना नींद पूरी हुई
ना ख्वाब मुकम्मल हुए

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी

mai akhir kon sa mosam tumhare naam kar deta
yaha har ek mosam ko gujar jane ki jaldi thi

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

hum se pahle bhi musafir kayi gujre honge
kam se kam rah ke pather to hatete jate

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

ek hi nadi ke hai ye do kinare dosto
dostana jindagi se mot se yari rakho

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए

लवे दीयों की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना

साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी
बुझते हुए दिए की तरह, जल रहे हैं हम
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गयी
हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम

राज़ जो कुछ हो इशारों में बता देना
हाथ जब उससे मिलाओ दबा भी देना
नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर
“राहत” से सुननी हो तो थोड़ी सी पिला भी देना

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
में बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था

इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इलज़ाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया

rahat indori sad shayari 2 line


कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं

मौसमो का ख़याल रखा करो
कुछ लहू मैं उबाल रखा करो
लाख सूरज से दोस्ताना हो
चंद जुगनू भी पाल रखा करो

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा

उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं,मुझ से, रूठे रूठे हैं
चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं

आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो

रोज़ तारों को नुमाइश में , खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं

मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए

हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे

काम सब गेरज़रुरी हैं, जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, गजब करते हैं
आप की नज़रों मैं, सूरज की हैं जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं

rahat indori shayari in urdu


तुफानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो
फूलो की दुकाने खोलो, खुशबु का व्यापर करो
इश्क खता हैं, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़ होता हैं जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यही आके फिसलते क्यों हैं

इश्क में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ

दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें

Ajeeb Log Hain Meri Talash Mein Mujhko,
Wahan Par Dhoondh Rahe Hain Jahan Nahi Hun Main,
Main Aayino Se Toh Mayoos Laut Aaya Hun,
Magar Kisi Ne Bataya Bahut Haseen Hun Main.

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा

जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं

अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे

rahat indori shayari in urdu


Ajnabi Khwahishein Seene Mein Daba Bhi Na Sakun,
Aise Ziddi Hain Parinde Ke Uda Bhi Na Sakun,
Foonk Dalunga Kisi Roj Main Dil Ki Duniya,
Yeh Tera Khat To Nahi Ke Jala Bhi Na Sakun.

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

Use Ab Ke Wafaon Se Gujar Jaane Ki Jaldi Thi,
Magar Iss Baar Mujhko Apne Ghar Jaane Ki Jaldi Thi,
Main Aakhir Kaun Sa Mausam Tumhare Naam Kar Deta,
Yehan Har Ek Mausam Ko Gujar Jaane Ki Jaldi Thi.

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

Bahut Guroor Hai Dariya Ko Apne Hone Par,
Jo Meri Pyaas Se Uljhe Toh Dhajjiyan Ud Jayein.

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं

सरहदों पर तनाव हे क्या
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं

ये सहारा जो न हो तो परेशां हो जाए
मुश्किलें जान ही लेले अगर आसान हो जाए
ये कुछ लोग फरिस्तों से बने फिरते हैं
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाये तो इन्सां हो जाए

rahat indori kavita

नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे

गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं
में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते

बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

rahat indori shayari bulati hai magar


कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया

शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे

सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

rahat indori status

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं

इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे “अल्लाह” मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए

अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है
एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है

Roj Taaron Ki Numaaish Mein Khalal Padta Hai,
Chand Pagal Hai Andhere Mein Nikal Padta Hai,
Roj Patthar Ki Himayat Mein Ghazal Likhte Hain,
Roj Sheeshon Se Koi Kaam Nikal Padta Hai.

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

Haath Khali Hain Tere Shehar Se Jaate-Jaate,
Jaan Hoti Toh Meri Jaan Lutate Jaate,
Ab Toh Har Haath Ka Pathar Humein Pehchanta Hai,
Umar Gujri Hai Tere Shehar Mein Aate Jaate.

हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।

Ek Chingari Nazar Aayi Thi Basti Me Use
Wo Alag Hat Gaya Aandhi Ko Ishara Karke
Main To Dariya Hu Ki Har Bund Bhawar Hai Jiski
Tumne Achha Hi Kiya Mujhse Kinara Karke

एक चिंगारी नज़र आयी थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आंधी को इशारा करके
मैं तो दरिया हू की हर बुंद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
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