हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी,हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी
नजरिया बदल के देख, हर तरफ नजराने मिलेंगेऐ ज़िंदगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे
अकेले ही गुजर जाती है तन्हा ज़िंदगी,लोग तसल्लियाँ तो देते हैं साथ नहीं देते
कुछ इस तरह फ़क़ीर ने ज़िंदगी की मिसाल दी,मुट्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,लोगों ने सोचने में ही गुज़ार दी
दुनिया का बोझ जरा दिल से उतार दे,छोटी सी जिंदगी है हँस के गुजार दे
ज़िंदगी का हर वो रंग दिलकश लगता है,जो आपके प्यार में हम पर चढ़ता है
रखा करो नजदीकियॉ जिन्दगी का कुछ भरोसा नहीफिर मत कहना, चले भी गऐ और बताया भी नहीं
ले दे के अपने पास सिर्फ एक नजर तो है,क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नजर से हम
ये जीना भी कोई जीना है यारो ,ज़िन्दगी को भुगत रहा हूँ ज़िन्दगी के बिना
जो मिला कोई न कोई सबक दे गया,अपनी ज़िन्दगी में हर कोई गुरु निकला
अब समझने लगा हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,हो गया है ज़िन्दगी का तजुर्बा थोड़ा थोड़ा
मंजिल मिले ना मिले ये तो मुकदर की बात है,हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात है
मुस्कुराओ क्या गम है,जिंदगी में टेंशन किसको कम है,अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है,जिंदगी का नाम ही कभी खुशी कभी गम है
हमने तो जिंदगी की बहुत सी खुशियों को बर्बाद किया है,तब हमने दर्द में मुस्कुराने का हुनर आबाद किया है
किस्मत के मौको को देखो, वक्त के घेरों को देखो,कल का आप इंतज़ार न करो,जो आज है आप बस उसी में जी के देखो
ज़िन्दगी में खुश वही रह पाता है,जिसे मुश्किलों से हसना आता है,और रूठो को मनाना आता है
ज़िन्दगी में कभी किसी पर मत भरोसा करो,चलना है तो बस अपने पैरों पर चला करो
सडक कितनी भी साफ क्यों न हो, लेकिन धूल हो ही जाती हैऔर इंसान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, भूल हो ही जाती है
लोग इंतज़ार में रहे कि हमें टूटा हुआ देखें,और हम थे कि सहते सहते पत्थर के हो गए
एक और ईंट गिर गई दीवार ए जिंदगी सेयार कह रहे हैं नया साल मुबारक हो
आज कल नज़रो से भी चोट लगा करती हैजब नज़रे देख कर भी अनदेखा कर दिया करती है
अपनों की यादेंखुशबू की तरह होती हैं।.
चाहे कितनी भी खिड़की दरवाजे
बन्द कर लो हवा के झोंके के साथ अन्दर आ ही जाती हैं
Good morning shayari hindi
रिश्तों को निभाने के किसी के आगे इतना मत झुको कि उठते समय सहारे की जरुरत पड़े, क्योंकि जो आपको झुका रहा है वो आपको उठने में कभी मदद नहीं करेगा और ,जो रिश्तों को झुकाने में विश्वास करता है वो कभी रिश्तों को निभाने में विश्वास नहीं कर सकता। ऐसे रिश्ते को उनके हाल पर छोड़ देना या समय को प्रतिकूल जानकर शांत बैठ जाना ही अच्छा है। कोई अपना है या हम किसी के हों क्या फर्क पड़ता है ,अपना वही है जो हर हाल में आपको आगे बढ़ाता है जो पीछे धकेल रहा है वो कभी आपका नहीं हो सकता है