शमशान ऐसे लोगो की राख से.भरा पड़ा है
जो समझते थे.दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती
मुझे आज फिर से महसूस हुई तेरी कमी शिद्दत से
आज फिर दिल को मनाने में बड़ी देर लगी...
यूँ तेरी ख़ामोशी से, हमें कोई एतराज नहीं,
बस देख कर अनदेखा किया, ये खल गई
कितना गरूर था उसे अपनी उड़ान पर,
उसको ख़बर न थी कि मेरे पर् भी आयेंगे..
किताबों से दलील दूँ या खुद को सामने रख दूँ 'फ़राज़' ,
वो मुझ से पूछ बैठी है मोहब्बत किस को कहते हैं
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं,
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ,
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं,
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं,
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं।
आप ही अपनी जफ़ाओं पे ज़रा ग़ौर करें, हम अगर अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी
किस्मत बुरी या मैं बुरा यही फैसला ना हो सका,मैं हर किसी का हो गया बस कोई मेरा ना हो सका
पुरानी होकर भी ख़ास होती जा रही है, मोहब्बत बेशरम है, बे-हिसाब होती जा रही है
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकड़े–टुकड़े,पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर बहुत रोए
यूँ आज ऐतबार करें,चल आज फिर इकरार करें,डूब के एक दूजे के इश्क में,बेपनाह हम दोनों प्यार करें
रखना सोचकर हमारी सल्तनत में कदम,हमारी मोहब्बत की क़ैद में जमानत नहीं होती
एक कतरा ही सही मौला लेकिन,ऐसी नियायत दे की किसी को प्यासा देखूं तो पानी हो जाऊँ
दिल से इज़हार हो, एक दूसरे के हम यार हों, चल चले इश्क की वादियों में और फिर बस प्यार और प्यार हो
मैं कैसे यकीन कर लूं मुझसे मोहब्बत नहीं थी उनको, सुना है आज भी रोते हैं मेरी तस्वीर सीने से लगाकर
इन लम्हों की यादें ज़रा संभाल के रखना, हम याद तो आएँगे मगर लौट के नहीं
वो जिसके सामने हमने ये सर झुकाया है, ख़ुदा नहीं है, पर हमने उसको ख़ुदा बनाया है
लोग चाह कर भी नहीं पड़ना चाहते हमारी मोहब्बत में, कहते हैं तुम दिल में नहीं रूह में समा जाते हो
मोहब्बत मैं करने लगा हूँ, उलझनों में जीने लगा हूँ, दीवाना तो था नहीं मैं लेकिन, तेरा दीवाना होनें लगा हूँ
अब आ गए हो तुम तो आईना भी देखेंगे, अभी–अभी तो निगाहों में रौशनी हुई है
कर दे अपने इश्क में मदहोश इस तरह की, होश भी आने से पहले इजाज़त मांगे
तुम को चाहने की वजह कुछ भी नहीं, इश्क की फितरत है बे–वजह होना
मुझको पाना है तो मुझमें उतरकर देखो,यूँ किनारों से समुन्दर को देखा नहीं जाता
हमें ये दिल हारने की बीमारी ना होती,आपकी दिल जीतने की अदा अगर इतनी प्यारी ना होती
ख़ुदा का शुक्र है उसने ख़्वाब बना दिया,वरना,तमन्ना तुम से मिलने की कभी पूरी नहीं होती
मेरी बातों का कुछ इस तरह वो ज़िक्र किया करती है,सुना है आज भी वो मेरी फ़िक्र किया करती है
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ,भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
यूँ ही ज़िन्दगी बहुत कम है मोहब्बत के लिए, रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है
बेरुखी किस शिद्दत से निभाई जाती है कोई उनसे सीखे, आँखें खुली रखते हैं और कहते हैं हम दिखते ही नहीं
कोई नहीं था कभी इतने करीब मेरे, इश्क में रंगी बस एक मेरी रूह थी वहाँ
होठों की भी क्या मजबूरी है,बात वही छुपाते हैं जो कहना ज़रूरी है
कश–म–कश में ज़िन्दगी की थोड़ा उलझ गए हैं दोस्तों, वर्ना तो हम उन में से हैं जो दुश्मनों को भी अकेला महसूस नहीं होने देते
बिन मेरे रह ही जाएंगी कोई ना कोई कमी शायद,ज़िन्दगी को तुम जितनी मर्ज़ी संवारने की कोशिश कर लो
नादानी की हद तो देखो मेरे सनम की,ए–दोस्तों मुझे खो कर मेरा जैसा खोज रही है
जिसकी याद में खर्च कर दी ज़िन्दगी हमने,वो ही शक्स आज हमें ग़रीब कहकर चल गया
अब भी याद कर रहे हो पागल हो क्या,उसने तो तुम्हारे बाद भी हजारों भुला दिए
कुछ इस तरह सौदा किया वक़्त ने,तजुर्बा देकर वो मेरी नादानी ले गया
आज एक बात कह के उसने मुझे रुला दिया,जब दर्द नहीं बर्दाश्त कर सकते तो मोहब्बत की क्यों
हालात हैं ये जो मेरे,एक दिन सुधर जाएँगे,मगर तब तक कई लोग मेरे दिल से उतर जाएँगे
देखा था हमने शोक–ए–नज़र की ख़ातिर,सोचा ये ना था कि तुम दिल में उतर जाओगे
मेरी हैसियत का अंदाज़ा तुम ये जानकर लगा लोगे,हम उनके कभी नहीं होते,जो हर किसी के हो गए।
कमाल की फुंकारी है तुममें ऐ–जाना,वार भी दिल पर करते हो और रहते भी दिल में हो
दिल से तुझे अपने लगा लूं,आ सनम तुझे अपना बना लूं,कहीं मुझे हो ना जाए देरी,आ तुझे तुझसे ही चुरा लूं
ऐ–ज़िन्दगी तू सच में बहुत खूबसूरत है,फिर भी उसके बिना तू अच्छी नहीं लगती.
तेरी खूबसूरत आँखों में,आँसू अच्छे नहीं लगते,जितना भी रोए लेकिन,कभी सच्चे नहीं लगते.
पुरानी दुनिया के जज़्बात एक तरफ तुजसे पहले वाली मुलाक़ात एक तरफ
हवा की तरह तू छू के निकल जाती है। मुझे यु न देख मेरी रूह पिघल जाती है।
“