Chhatrapati shivaji maharaj quotes ,thoughts , prerak vichar in hindi with image download for whatsapp and share with your friends
@ ) अगर सफलता तक पहुंचने का कोई रास्ता है, तो मैं इसे पा लूंगा; अगर कोई रास्ता नहीं है, तो मैं इसे बनाऊंगा।
agar saflta tak pahunchne ka koe rasta hai ,to mai ise pa lunga ,agar koe rasta nahi to mai ise bna lunga
@ ) स्वराज्य को इच्छाशक्ति के आधार पर स्थापित किया जा सकता है।
कभी भी अपना सिर न झुकाएं।- shivaji maharaj
@ ) पहले राष्ट्र को देखो, फिर गुरु को, फिर माता-पिता को, फिर ईश्वर को
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।- shivaji maharaj
@ ) जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाङ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है - shivaji maharaj
dushman ko kamjor na samjhe or atyedhik balwan samjhkar dare bhi nahi
@ ) जब लक्ष्य जीत हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य क्यों न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।- shivaji maharaj
@ ) अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।- shivaji maharaj
@ ) शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।- shivaji maharaj
@ ) आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।- shivaji maharaj
@ ) एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।- shivaji maharaj
@ )जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।- shivaji maharaj
@ ) क छोटे कदम से छोटे से लक्ष्य की शुरुआत भी बड़े बड़े लक्ष्य को आसानी पा सकते है- shivaji maharaj
@ ) अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।- shivaji maharaj
@ ) अंगूर को जब तक पेरा नही जाता तबतक रस नही बनता ठीक उसी प्रकार जबतक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नही गुजरता तबतक उसकी प्रतिभा सबके सामने नही आती है- shivaji maharaj
@ ) जो व्यक्ति धर्म, सत्य श्रेष्ठता और ईश्वर के सामने झुकता है उस व्यक्ति का आदर समस्त संसार में किया जाता है- shivaji maharaj
@ ) जो व्यक्ति अपने आत्मबल को जान सकता है, खुद को जान सकता है, मानव जाति के कल्याण को सोच रखता है वही व्यक्ति पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है- shivaji maharaj
@ ) आपका शत्रु चाहे कितना बलवान क्यू ना हो उसे सिर्फ मजबूत इरादों और बुलंद हौसले से ही पराजित किया जा सकता है- shivaji maharaj
@ ) जो मनुष्य अपने बुरे समय में भी अपने कार्यो में लगा रहता है उसके लिए बुरा समय भी अच्छे समय में बदल जाता है- shivaji maharaj
@ ) जब लक्ष्य, जीत की बनाया जाता है तो तो उस जीत को हासिल करने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम और किसी भी कीमत को चुकाने के लिए हमेसा तैयार रहना चाहिए- shivaji maharaj
@ ) एक सफल व्यक्ति अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए सम्पूर्ण मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है- shivaji maharaj
@ ) जरुरी नही की दुश्मन से लड़कर ही जीत हासिल किया जाए बल्कि उसे बिना लड़े भी जीत हासिल किया जा सकता है- shivaji maharaj
@ ) वीर व्यक्ति हमेसा विद्वानों के आगे झुकते है- shivaji maharaj
@ ) आप जहा कही भी रहते है आपको अपने पूर्वजो का इतिहास जरुर मालूम होना चाहिए- shivaji maharaj
@ ) विद्या जो की हमेसा स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता हमेसा विजय की ओर ले जाती है- shivaji maharaj
@ ) जब पेड़ इतना दयालु हो सकता है की पत्थर मारने पर फल देता है तो एक राजा होने के नाते तो मुझे उस पेड़ से भी अधिक दयालु और सबका हितैषी होना चाहिए- shivaji maharaj
@ ) अगर सफलता तक पहुंचने का कोई रास्ता है, तो मैं इसे पा लूंगा; अगर कोई रास्ता नहीं है, तो मैं इसे बनाऊंगा।
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shivaji maharaj quotes in hindi |
agar saflta tak pahunchne ka koe rasta hai ,to mai ise pa lunga ,agar koe rasta nahi to mai ise bna lunga
@ ) स्वराज्य को इच्छाशक्ति के आधार पर स्थापित किया जा सकता है।
कभी भी अपना सिर न झुकाएं।- shivaji maharaj
स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे प्राप्त करने का अधिकार सभी को है।- shivaji maharaj
@ ) पहले राष्ट्र को देखो, फिर गुरु को, फिर माता-पिता को, फिर ईश्वर को
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।- shivaji maharaj
जरुरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने मे वीरता हो। वीरता तोविजय मे है - shivaji maharaj
@ ) जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाङ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है - shivaji maharaj
शत्रु को कमजोर न समझो, अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरो भी मत।- shivaji maharaj
dushman ko kamjor na samjhe or atyedhik balwan samjhkar dare bhi nahi
@ ) जब लक्ष्य जीत हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य क्यों न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।- shivaji maharaj
@ ) अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।- shivaji maharaj
जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।- shivaji maharaj
@ ) शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।- shivaji maharaj
एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।- shivaji maharaj
@ ) आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।- shivaji maharaj
@ ) एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।- shivaji maharaj
जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।- shivaji maharaj
जरूरी नहीं कि मुश्किलों का सामना दुश्मन के सामने ही करने में वीरता हो, वीरता तो विजय में है- shivaji maharaj
@ )जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।- shivaji maharaj
यह जरुरी नही की गलती करके ही सीखा जाए, दुसरो की गलती से सीख लेते हुए भी सीखा जा सकता है- shivaji maharaj
@ ) क छोटे कदम से छोटे से लक्ष्य की शुरुआत भी बड़े बड़े लक्ष्य को आसानी पा सकते है- shivaji maharaj
बदला लेने की भावना मनुष्य को अंदर ही अंदर जलाती रहती है लेकिन इसपर संयम से प्रतिशोध पर काबू पाया जा सकता है - shivaji maharaj
@ ) अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।- shivaji maharaj
कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है।- shivaji maharaj
जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।- shivaji maharaj
@ ) अंगूर को जब तक पेरा नही जाता तबतक रस नही बनता ठीक उसी प्रकार जबतक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नही गुजरता तबतक उसकी प्रतिभा सबके सामने नही आती है- shivaji maharaj
@ ) जो व्यक्ति धर्म, सत्य श्रेष्ठता और ईश्वर के सामने झुकता है उस व्यक्ति का आदर समस्त संसार में किया जाता है- shivaji maharaj
जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है उनका आदर सभी जगह होता है- shivaji maharaj
@ ) जो व्यक्ति अपने आत्मबल को जान सकता है, खुद को जान सकता है, मानव जाति के कल्याण को सोच रखता है वही व्यक्ति पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है- shivaji maharaj
जीवन में सिर्फ अच्छे दिन हमेसा नही रह सकते है जिस प्रकार दिन के बाद रात आती है ठीक उसी प्रकार सुख के बाद दुःख आते ही आते है- shivaji maharaj
@ ) आपका शत्रु चाहे कितना बलवान क्यू ना हो उसे सिर्फ मजबूत इरादों और बुलंद हौसले से ही पराजित किया जा सकता है- shivaji maharaj
एक वीर योद्दा हमेसा विद्वानों के सामने ही झुकता है- shivaji maharaj
@ ) जो मनुष्य अपने बुरे समय में भी अपने कार्यो में लगा रहता है उसके लिए बुरा समय भी अच्छे समय में बदल जाता है- shivaji maharaj
हर इन्सान को सबसे पहले अपने राष्ट्र, फिर गुरु और माता पिता के तरफ ध्यान देना चाहिए क्युकी राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नही है- shivaji maharaj
@ ) जब लक्ष्य, जीत की बनाया जाता है तो तो उस जीत को हासिल करने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम और किसी भी कीमत को चुकाने के लिए हमेसा तैयार रहना चाहिए- shivaji maharaj
@ ) एक सफल व्यक्ति अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए सम्पूर्ण मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है- shivaji maharaj
किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम को सोच लेना भी बेहतर होता है क्योकि आने वाली पीढ़ी आपकी ही अनुसरण करती है- shivaji maharaj
@ ) जरुरी नही की दुश्मन से लड़कर ही जीत हासिल किया जाए बल्कि उसे बिना लड़े भी जीत हासिल किया जा सकता है- shivaji maharaj
शत्रु चाहे कितना बड़ा और शक्तिशाली क्यों ना हो उसे सही नियोजन और आत्मबल और उत्साह के जरिये ही हराया जा सकता है- shivaji maharaj
@ ) वीर व्यक्ति हमेसा विद्वानों के आगे झुकते है- shivaji maharaj
अगर व्यक्ति के पास दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मबल है तो वह सम्पूर्ण जगत पर अपना विजय पताका फहरा सकता है- shivaji maharaj
@ ) आप जहा कही भी रहते है आपको अपने पूर्वजो का इतिहास जरुर मालूम होना चाहिए- shivaji maharaj
आत्मबल हमेसा करने की सामर्थ्य देता है और सामर्थ्य विद्या से आती है - shivaji maharaj
@ ) विद्या जो की हमेसा स्थिरता प्रदान करती है और स्थिरता हमेसा विजय की ओर ले जाती है- shivaji maharaj
एक स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार उसकी माँ होने में है- shivaji maharaj
@ ) जब पेड़ इतना दयालु हो सकता है की पत्थर मारने पर फल देता है तो एक राजा होने के नाते तो मुझे उस पेड़ से भी अधिक दयालु और सबका हितैषी होना चाहिए- shivaji maharaj